नेपाल में सत्ता परिवर्तन

संपादकीय { गहरी खोज }: कल तक जो लड़ाई नेपाल में सोशल मीडिया के नाम पर लड़ी जा रही थी आज वह भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई के रूप में सामने आ गई। आगजनी और हिंसा के बाद अब सेना ने सत्ता संभाली है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित सभी मंत्रियों ने त्यागपत्र दे दिए, सेना ने सांसदों को त्यागपत्र देने का आदेश दिया है। 2008 में नेपाल में राजशाही समाप्त होने के बाद से आज तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है।
श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, मालदीव व म्यांमार के बाद अब नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता आ गई है। यह भारत के लिए चिंता का विषय है। अब प्रश्न यह उठता है कि नेपाल में क्या केवल सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के कारण यह सब हुआ है, उत्तर है नहीं। नेपाल में पिछले 4 वर्षों से ओली सरकार पर बड़े-बड़े घोटाले करने तथा चीन की तरफ आवश्यकता से अधिक झुकाव बड़े कारण हैं।
जेन जी मतलब 1997-2012 के बीच जन्मे लोग हैं, यही वर्ग इन प्रदर्शनों के पीछे है। ओली सरकार के विरुद्ध सोशल मीडिया पर अभियान चलाने वाले इस वर्ग द्वारा नेताओं समेत उनके बच्चों और परिवारों की आलीशान लाइफस्टाइल और शानोशौकत सोशल मीडिया पर उजागर हो रही थी। इसी बीच ‘नेपो बेबी’ अभियान भी नेपाल के सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा था, जिससे युवाओं की नाराजगी का अंदेशा लगाया जा सकता था। नेपाल सरकार पर पिछले 4 साल में कई बड़े घोटालों और भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। खासकर नेपाल सरकार के 3 बड़े घोटालों की पोल खुली, तो युवाओं का गुस्सा सांतवें आसमान पर पहुंच गया। 2021 गिरी बंधु भूमि स्वैप घोटाला (54,600 करोड़) 2023 ओरिएंटल कॉर्पोरेटिव घोटाला (13,600 करोड़) 2024 कॉर्पोरेटिव घोटाला (69,600 करोड़)। नेपाल में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में नेपाल के 10.71 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं। वहीं, नेपाल की महंगाई दर 5.2 फीसदी है। आंकड़ों की मानें तो नेपाल के महज 20 प्रतिशत लोगों के पास देश की 56 फीसदी संपति मौजूद है, जिनमें नेपाल के राजनेता भी शामिल हैं। जुलाई 2024 में केपी ओली की सरकार आने के बाद नेपाल का झुकाव चीन की तरफ बढ़ने लगा है। नेपाल ने भारत के साथ सीमा विवाद के मुद्दे को हवा दी, जिससे नेपाल पर आर्थिक दबाव भी बढ़ने लगा। ओली सरकार के इस रुख को लेकर भी कई नेपाली नागरिकों में भारी नाराजगी है। यही कारण है कि प्रदर्शनकारी पूर्व मंत्रियों को सड़कों पर दौड़ा-दौड़ाकर पीट रहे हैं। नेपाल सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच लोकतंत्र खत्म करके दोबारा राजशाही स्थापित करने की मांग हो रही है।