अगस्त में 3 लाख वाहन स्क्रैप, बीएस-7 मानदंडों के साथ वैश्विक स्टैंडर्ड अपनाएंगे: गडकरी

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि वाहन स्क्रैपिंग नीति देश की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण दोनों के लिए वरदान साबित हो रही है। अगस्त 2025 तक 3 लाख वाहन स्क्रैप हो चुके हैं, जिनमें से 1 लाख 41 हजार सरकारी वाहन थे, जबकि देश में 97.4 लाख वाहनों को स्क्रैप किया जा सकता है।
गडकरी ने नई दिल्ली में सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) के 65वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री से स्क्रैपिंग के बाद नई गाड़ियां खरीदने वाले लोगों को जीएसटी में राहत देने का अनुरोध किया है। वर्तमान में मासिक 16,830 वाहन स्क्रैप हो रहे हैं और निजी क्षेत्र ने इस क्षेत्र में 2,700 करोड़ रुपये का निवेश किया है। भारत प्रतिवर्ष 27 लाख टन स्टील आयात करता है, जो स्क्रैपिंग से प्राप्त किया जा सकता है। इसी तरह एल्यूमीनियम का आयात भी कम हो सकता है। स्क्रैपिंग से अब तक 3.67 लाख टन स्टील निकाला गया है, जो कुल जरूरत का मात्र 6 प्रतिशत है। यदि स्क्रैप धातुओं से नई गाड़ियां बनाई जाएं तो केंद्र और राज्य सरकारों को 40 हजार करोड़ रुपये का राजस्व लाभ होगा, साथ ही ऑटोमोबाइल कंपनियों को भी लागत में भारी कमी का फायदा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि भारत ने बीएस-4 से बीएस-6 उत्सर्जन मानदंडों पर पहुंच गया है, जो सभी पक्षों के समन्वय का परिणाम है। अब बीएस-7 मानदंडों और कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी (कैफे) को अपनाने के लिए वैश्विक मानकों, विशेष रूप से यूरोपीय स्टैंडर्ड्स के साथ तालमेल बनाए रखा जाएगा। वायु प्रदूषण को देश की सबसे बड़ी समस्या बताते हुए उन्होंने कहा कि परिवहन क्षेत्र कुल प्रदूषण का 40 प्रतिशत योगदान देता है। स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ रहा है।
गडकरी ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि माल परिवहन का 81 प्रतिशत सड़कों से, मात्र 1 प्रतिशत रेल से और 17 प्रतिशत अन्य माध्यमों से होता है। सड़कों का विस्तार तेजी से हो रहा है। एक्सप्रेसवे निर्माण कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि आईआईटी कानपुर, चेन्नई और मुंबई की रिपोर्ट बताती है कि लॉजिस्टिक्स लागत 16 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत रह गई है। दिसंबर 2025 तक यह 9 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। यदि माल सीधे हाइवे से फैक्ट्रियों तक पहुंचाया जाए तो लागत और कम होगी। अच्छे हाइवे, कम लॉजिस्टिक्स लागत और तेल कीमतों के कारण परिवहन क्षेत्र में वृद्धि हो रही है। लेकिन जीवाश्म ईंधन पर 22 लाख करोड़ रुपये का आयात बोझ बढ़ रहा है। बायो-फ्यूल, हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के बावजूद मांग बढ़ेगी, जिससे प्रदूषण अधिक होगा। इसलिए ऑटोमोबाइल उद्योग का धन्यवाद, जिनके सहयोग से बीएस-6 संभव हुआ। अब बीएस-7 और कैफे के लिए वैश्विक संरेखण बनाए रखेंगे, ज्यादा कुछ नहीं करेंगे।
गडकरी ने कहा कि देश में प्रतिवर्ष 5 लाख दुर्घटनाओं में 1.80 लाख मौतें होती हैं, जिनमें 66 प्रतिशत से अधिक 18 से 34 वर्ष के युवा होते हैं। रोड इंजीनियरिंग में सुधार किए गए हैं। ऑटोमोबाइल उद्योग ने सुरक्षा मानदंडों को अपनाने में सहयोग किया। नया बस कोड लागू हो चुका है। बसों और ट्रकों के लिए नई तकनीकों को तुरंत अपनाया जा रहा है लेकिन ड्राइवरों की कमी बड़ी समस्या है। देश में 22 लाख ड्राइवरों की कमी है। सड़क निर्माण, वाहन वृद्धि और माइनिंग क्षेत्र में जरूरत बढ़ रही है, लेकिन प्रशिक्षण स्कूलों की कमी है। ऑटोमोबाइल उद्योग से ड्राइवर ट्रेनिंग में सहयोग की अपील की। भारत एनकैप से वाहनों की सुरक्षा जांच मजबूत हो रही है।
उन्होंने कहा कि कई कंपनियां वाहनों को टेस्ट के लिए भारत भेज रही हैं। पुणे में 1,500 करोड़ रुपये की लागत से रिसर्च और टेस्टिंग सेंटर बन रहा है। ई-रिक्शा के मानदंड कड़े किए जा रहे हैं, क्योंकि उनकी मांग तेजी से बढ़ रही है। ई-20 नीति प्रदूषण कम करने और विदेशी मुद्रा बचाने के लिए जरूरी है। एथेनॉल पर निर्भरता से 22 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। मक्के से एथेनॉल उत्पादन से किसानों को 45 हजार करोड़ का लाभ हुआ। मक्के का दाम 1,200 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2,800 रुपये हो गया। इस साल मक्के की खेती तीन गुना बढ़ी।