सीईए की रिपोर्ट: जीएसटी सुधारों से FY26 में टैरिफ का जीडीपी पर असर कम होगा

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: कोविड के बाद भारत शायद जी20 का एकमात्र ऐसा देश रहा है जिसने पिछले चार वर्षों, 2021-22 से 2024-25 तक, लगभग समान दर से विकास किया है और यह आगे भी जारी रहेगा। एआईएमए के एक कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने यह बात कही। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा है कि वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) सुधारों से अमेरिका की ओर से भारतीय माल पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने भरोसा जताया कि चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि पर टैरिफ का शुद्ध प्रभाव 0.2-0.3 प्रतिशत रहेगा।
उन्होंने कहा कि जुलाई और अगस्त के आंकड़ों के आधार पर, दूसरी तिमाही के शुरुआती संकेत बताते हैं कि विकास के आंकड़े जुलाई से सितंबर की दूसरी तिमाही के लिए भी अच्छे रहेंगे। यह संभव है कि हम पिछले 11 वर्षों में इस सरकार के तहत पहले ही किए गए सभी संरचनात्मक सुधारों के प्रभाव को कम करके आंक रहे हों।
चाहे वह भौतिक बुनियादी ढांचे में सुधार हो, डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण हो, छोटे और मध्यम उद्यमों मजबूत करने के लिए बीते वर्षों में उठाए गए कदम हों या ईज ऑफ डूइंग बिजनेस हो अपने देश में एक सजग आर्थिक माहौल बनाया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि इसके अलावा दिवाला संहिता, जीएसटी, रियल एस्टेट विनियमन अधिनियम, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकिंग का पूंजीकरण और कंसोलिडेशन जैसे संरचनात्मक सुधार और निश्चित रूप से कोविड के बाद बनी स्थिति से निपटने में लक्षित, समयबद्ध और संतुलित रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जीएसटी में हुए सुधार अमेरिका से जो निर्यात मांग पूरी नहीं हो पाएगी उसकी पूर्ति घरेलू मांग से करके अहम भूमिका निभाएंगे। जीएसटी परिषद ने पिछले हफ्ते कर व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की चार स्लैब वाली जीएसटी संरचना को 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो स्लैब वाली संरचना में बदल दिया है। परिषद ने 40 प्रतिशत की नई जीएसटी दर बनाई है, जो अहितकर और विलासिता की वस्तुओं पर लगाई जाएगी।
22 सितंबर को नवरात्रि के पहले दिन से जीएसटी में बदलाव लागू होने पर साबुन से लेकर कार, शैंपू से लेकर ट्रैक्टर और एयर कंडीशनर तक लगभग 400 उत्पादों की कीमतें कम हो जाएंगी। एआईएमए की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जीएसटी सुधार घरेलू मांग पैदा करके दूसरे और तीसरे दौर के प्रभावों को कम करने में मदद करेंगे और इस प्रकार पूंजी निर्माण के रास्ते में आने वाली अनिश्चितता को दूर करेंगे।
उन्होंने कहा, “हालांकि आपको यह याद रखना चाहिए कि चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में अमेरिका को वस्तुओं का निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में लगभग आधा हो चुका है। दूसरे शब्दों में, इस वित्त वर्ष में प्रभाव अपेक्षाकृत सीमित हो सकता है, जो कि किसी की धारणा पर निर्भर करता है, लेकिन अधिक महत्वपूर्ण बात टैरिफ की अनिश्चितता के दूसरे और तीसरे दौर के प्रभाव हैं, बशर्ते वे लंबे समय तक रहें।”
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि टैरिफ की स्थिति दीर्घकालिक न होकर क्षणिक और अल्पकालिक होगी। उन्होंने कहा, “लेकिन यदि यह हमारी अपेक्षा से अधिक समय तक जारी रहता है, विशेषकर 25 प्रतिशत का दंडात्मक शुल्क, तो दूसरे और तीसरे दौर के प्रभाव अधिक स्पष्ट हो जाएंगे, जो कि निवेश, पूंजी निर्माण, अर्थव्यवस्था में समग्र भावना के संबंध में अनिश्चितता है।”
हालांकि, नागेश्वरन ने कहा कि जीएसटी सुधार से न केवल घरेलू खपत बढ़ेगी, बल्कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह दूसरे और तीसरे दौर के टैरिफ प्रभाव का प्रतिकारक होगा।उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर, मेरा मानना है कि यदि आप जीएसटी को ध्यान में रखें, तो टैरिफ का प्रभाव और जीएसटी के क्षतिपूर्ति प्रभाव, दरों में कटौती और प्रक्रियागत सुधार से हमें सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर दबाव के संदर्भ में शुद्ध आधार पर 0.2-0.3 प्रतिशत की वृद्धि मिल सकती है, जो कि चालू वित्त वर्ष के लिए हमारे 6.3 से 6.8 प्रतिशत के अनुमान पर निर्भर है।”

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