देश का पहला हिन्दी मीडियम चिकित्सा कॉलेज मध्य प्रदेश में होगा शुरू
नई दिल्ली{ गहरी खोज }:मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है जहां हिन्दी को महत्व देकर पहला हिन्दी मीडियम चिकित्सा मेडिकल कॉलेज का शुभारंभ हो रहा है। मध्य प्रदेश के जबलपुर में 50 सीटों के साथ इसमें पहला सत्र 2027-28 से प्रारंभ हो जाएगा। इसकी नींव केंद्रीय कृषि मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रखी थी। देश में हिन्दी को महत्व देने व हिन्दी भाषी छात्रों के प्रोत्साहन के लिए यह पहल बेहद प्रभावशाली हैं। हिन्दी मीडियम से यहां एमबीबीएस की डिग्री मिलेगी।
वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस परियोजना को साकार करने के लिए इसको और गति दी। देश में हिन्दी की घटती प्रभावशीलता को ध्यान में रखते हुए देश के अलग-अलग राज्यों में हिन्दी मीडियम चिकित्सा कॉलेजों की स्थापना को लेकर केंद्र सरकार भी विचार कर रही है। जबलपुर विश्वविद्यालय कार्य परिषद ने इस परियोजना को सफल बनाने के लिए व सत्र का जल्द शुभारंभ करने के लिए हरी झंडी दिखा दी है।
इस प्रस्ताव को राज्य सरकार ने भी स्वीकृत कर लिया था। विश्वविद्यालय ने मातृभाषा हिन्दी में इसे कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। अभी तक देश में एक भी हिन्दी मीडियम के चिकित्सा कॉलेज नहीं है। विश्वविद्यालय ने मातृभाषा हिंदी में इसे कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। अभी तक विश्वविद्यालय स्वयं कोई कॉलेज संचालित नहीं करता है। हिंदी में चिकित्सा की पढ़ाई से ग्रामीण व आदिवासी अंचल से आने वाले छात्रों को सुविधा हो जाएगी।
यह प्रस्ताव विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक में पारित हुआ है। यह कॉलेज, जबलपुर स्थित नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से संबद्ध रहेगा और एनएमसी के सभी मानकों के अनुरूप तैयार किया जाएगा। कॉलेज को पूरी तरह आवासीय बनाया जाएगा। राज्य शासन से मंजूरी और एनएमसी से मान्यता के बाद निर्माण व फैकल्टी चयन की प्रक्रिया शुरू होगी। विश्वविद्यालय पाठ्यपुस्तकें हिन्दी में प्रकाशित करेगा औऱ हिन्दी मेडिकल रोजगार के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे।
जबलपुर आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय कुलसचिव डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल ने कहा कि कॉलेज के शुरू होने के साथ भाषाई दिक्कत शिक्षकों व छात्रों को न आए, इस दिशा में एमयू लगातार कार्य में जुटा हुआ है। कार्य परिषद की स्वीकृति के बाद नए कॉलेज का मसौदा राज्य सरकार को भेज दिया गया है। वहां से अनुमति के बाद इस दिशा में कार्य और तेज हो सकेगा। उम्मीद है जल्द ही सरकार इस पर फैसला लेगी। यह अपनी तरह का देश में पहला कालेज होगा, जहां चिकित्सा की पढ़ाई हिंदी में होगी।
