12 प्रकार के होते हैं श्राद्ध, दसवां वाला तो बना देता है धनवान, देवी-देवताओं की दिलाता है विशेष कृपा

0
गया-में-पिंडदान-व-श्राद्ध

धर्म { गहरी खोज } : भविष्य पुराण के अनुसार कुल 12 प्रकार के श्राद्ध होते हैं। पहला नित्य, दूसरा नैमित्तिक, तीसरा काम्य, चौथा वृद्ध, पांचवां सपिंडित, छठा पार्वण, सातवां गोष्ठ, आठवां शुद्धि, नौवा कर्मांग, दसवां दैविक, ग्यारहवां यात्रार्थ और बारहवां पुष्टि। चलिए इन सभी प्रकार के श्राद्धों के बारे में आपको यहां विस्तार से बताते हैं। साथ ही आप जानेंगे किन इन श्राद्धों को करने से क्या लाभ मिलता है।

श्राद्ध के प्रकार

  1. नित्य श्राद्ध- यह श्राद्ध जल द्वारा, अन्न द्वारा प्रतिदिन होता है। श्राद्ध-विश्वास से किये जाने वाले देवपूजन, माता-पिता एवं गुरूजनों के पूजन को नित्य श्राद्ध कहते हैं। अन्न के अभाव में जल से भी श्राद्ध किया जाता है। इसे करने से मनुष्य हर दिन तरक्की की नयी सीढ़ी चढ़ता है।
  2. नैमित्तिक श्राद्ध- किसी एक को निमित्त बनाकर जो श्राद्ध किया जाता है, उसे नैमित्तिक श्राद्ध कहते हैं। इसे करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। आपका बौद्धिक लेवल अच्छा होता है।
  3. काम्य श्राद्ध- जो कुछ कामना रखकर किया जाता है, उसे काम्य श्राद्ध कहते हैं। इसे करके मनुष्य बड़ी से बड़ी उपलब्धियों को प्राप्त कर सकता है।
  4. वृद्ध श्राद्ध- विवाह, उत्सव आदि अवसरों पर वृद्धों के आशीर्वाद लेने हेतु किया जाने वाला श्राद्ध वृद्ध श्राद्ध कहलाता है। दाम्पत्य जीवन को सफल बनाने के लिये यह श्राद्ध करना चाहिए।
  5. सपिंडित श्राद्ध- यह श्राद्ध सम्मान हेतु किया जाता है। समाज में, घर में और रिश्तेदारों में अपना सम्मान बनाए रखने के लिये यह श्राद्ध करना चाहिए।
  6. पार्वण श्राद्ध- मंत्रों से पर्वों पर किया जाने वाला श्राद्ध पार्वण श्राद्ध है, जैसे अमावस्या आदि पर्वों पर किया जाने वाला श्राद्ध। इसे करने से घर में खुशियों का आगमन होता है।
  7. गोष्ठ श्राद्ध- गौशाला में किया जाने वाला गोष्ठ श्राद्ध कहलाता है। इसे करने से स्त्री सुख की प्राप्ति होती है।
  8. शुद्धि श्राद्ध- अपनी शुद्धि कराने के लिए जो श्राद्ध किया जाता है, वह शुद्धि श्राद्ध कहलाता है। इसे करने से ऑफिस में बैक बाइटिंग से बचाव होता है।
  9. कर्मांग श्राद्ध- आने वाली संतति के लिए गर्भाधान, सोमयाग, सीमान्तोन्नयन आदि जो संस्कार किये जाते हैं, उन्हें कर्मांग श्राद्ध कहते हैं। इसे करने से बुढ़ापे में सन्तान आपका सहारा बनाती है, आपका ख्याल रखती है।
  10. दैविक श्राद्ध- देवताओं को प्रसन्न करने के उद्देश्य से दैविक श्राद्ध किया जाता है। इसे करने से आपको अन्न-धन्न की कभी कमी नहीं होती।
  11. यात्रार्थ श्राद्ध- यात्रा के उद्देश्य से किया जाने वाला श्राद्ध यात्रार्थ श्राद्ध कहलाता है। तीर्थ में जाने के उद्देश्य से या देशान्तर जाने के उद्देश्य से जिस श्राद्ध को सम्पन्न कराना चाहिए, वह यात्रार्थ श्राद्ध है । इसे करने से आपकी हर बिजनेस यात्रा सफल होती है।
  12. पुष्टि श्राद्ध- देशान्तर में जाने वाले की पुष्टि के लिए जो शुभकामना की जाती है, उसके लिए जो दान पुण्य आदि किया जाता है उसे पुष्टि श्राद्ध कहते हैं। अपने मित्र, भाई, बहन, पति, पत्नी आदि की भलाई के लिए जो कर्म किये जाते हैं उन सबको पुष्टि श्राद्ध कहते हैं। इसे करने से विदेश जाने का अवसर मिलता है और जो पहले से विदेश में हैं, उन्हें लगातार अपने कामों में सफलता मिलती है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *