अपने विकास की जिम्मेदारी ले जनजातीय समुदाय और खुलकर विचार रखे : राष्ट्रपति

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु से मंगलवार को विभिन्न राज्यों से आए प्रतिष्ठित जनजातीय लोगों के समूह ने मुलाकात की। इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि वास्तविक सशक्तीकरण केवल योजनाओं से नहीं आता, बल्कि अधिकारों की मान्यता और सम्मान से होता है।
उन्होंने जनजातीय समुदायों से अपनी विकास यात्रा की जिम्मेदारी लेने और विभिन्न मंचों पर खुलकर अपने विचार रखने का आग्रह किया। उन्होंने आदिवासी समाज की परंपराओं और संस्कृति को सुरक्षित रखते हुए उन्हें तकनीक के माध्यम से मुख्यधारा से जोड़ने पर जोर दिया।
राष्ट्रपति ने हाल ही में शुरू किए गए एआई-आधारित अनुवाद उपकरण ‘आदि वाणी’ का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह आदिवासी भाषाओं और शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन ला सकता है। सितंबर 2025 में लॉन्च हुआ यह बीटा संस्करण दुनिया का पहला एआई संचालित स्वदेशी भाषा सेतु उपकरण है। यह सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक समावेशन के लिए अहम साबित होगा।
उल्लेखनीय है कि यह कार्यक्रम जनजातीय कार्य मंत्रालय के ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ के तहत आयोजित किया गया। इस अभियान के अंतर्गत जनजातीय नेताओं की कई बैठकें राष्ट्रपति भवन में हो चुकी हैं। आज की यह मुलाकात इस शृंखला की अंतिम बैठक थी।
राष्ट्रपति ने उपस्थित जनजातीय प्रतिनिधियों से कहा कि आदि कर्मयोगी अभियान संवाद और सहयोग का एक अनोखा प्रयास है। इसका उद्देश्य न सिर्फ जनजातीय समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना है, बल्कि उन्हें राष्ट्र निर्माण का सक्रिय भागीदार बनाना भी है। उन्होंने कहा कि हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि आदिवासी समुदाय केवल लाभार्थी न रहकर भविष्य के सह-निर्माता बनें। बैठक में आदि कर्मयोगी अभियान पर बनी एक फिल्म भी दिखाई गई। इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम और राज्यमंत्री दुर्गादास उइके भी मौजूद रहे।