उच्चतम न्यायालय का केंद्र और राज्यों को नोटिस

0
supreme-court-1-585x390

संपादकीय { गहरी खोज }: भूस्खलन और अचानक बाढ़ के कारणों को लेकर दायर याचिका की सुनवाई को लेकर देश के उच्चतम न्यायालय ने पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केंद्र सरकार व राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को नोटिस दे जवाब मांगा है। सी.जे.आई. गवई ने कहा कि हमने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में अभूतपूर्व भूस्खलन और बाढ़ देखी है। मीडिया में आई खबरों से पता चला है कि बाढ़ में भारी मात्रा में लकड़ी बहकर आई। प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि पेड़ों की अवैध कटाई हुई है। इसलिए प्रतिवादियों को नोटिस जारी करें। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान एक अन्य मामले के सिलसिले में अदालत में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से गंभीर स्थिति पर ध्यान देने और सुधारात्मक कदम सुनिश्चित करने को कहा। सी.जे.आई. गवई ने कहा कि कृपया इस पर ध्यान दें। यह एक गंभीर मुद्दा प्रतीत होता है। बड़ी संख्या में लकड़ी के लट्टे इधर-उधर गिरे हुए दिखाई दे रहे हैं, यह पेड़ों की अवैध कटाई को दर्शाता हैं। हमने पंजाब की तस्वीरें देखी हैं। पूरे खेत और फसलें जलमग्न हैं, विकास और राहत उपायों के बीच संतुलन बनाना होगा। इस पर मेहता ने कहा कि हमने प्रकृति के साथ इतनी छेड़‌छाड़ की है कि अब प्रकृति हमें सबक सिखा रही है। मैं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव से बात करूंगा और वह राज्यों के मुख्य सचिवों से बात करेंगे। मेहता ने कहा कि ऐसी स्थितियां पैदा होने नहीं दी जा सकतीं। सी.जे.आई. गवई ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे की गंभीरता को देखा है। उन्होंने मामले की सुनवाई 2 हफ्ते बाद के लिए स्थगित कर दी। वकील आकाश वशिष्ठ के माध्यम से दायर याचिका में भूस्खलन और अचानक बाढ़ के कारणों की विशेष जांच दल (एस.आई.टी.) से जांच कराने और कार्ययोजना बनाने के अलावा यह सुनिश्चित करने के उपाय सुझाने का अनुरोध किया गया है कि ऐसी आपदाएं दोबारा न हों।
पंजाब में अब तक 1900 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं, 4 लाख के करीब लोग बाढ़ से प्रभावित हैं, 4 लाख एकड़ से अधिक फसल तबाह हो चुकी है। बारिश कुछ थमी अवश्य है, लेकिन भाखड़ा, पोंग और रणजीत सागर डैम अभी भी खतरे के निशान को छू रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में बारिश और भूस्खलन के कारण 355 लोगों की मौत हो चुकी है, 49 लोग लापता हैं और 400 से अधिक घायल हैं। 5000 से अधिक कच्चे पक्के मकान गिर चुके हैं, 1200 से ऊपर सड़के ठप्प हो चुकी हैं। हरियाणा में भी बाढ़ के कारण 2 लाख एकड़ से अधिक की फसलें तबाह हो चुकी हैं। हजारों लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। प्रकृति के प्रकोप को बढ़ाने में इंसान खुद भी जिम्मेवार है, लेकिन अपनी जिम्मेवारी लेने को तैयार नहीं। सारा दोष प्रकृति को देना चाहता है। देश के उच्चतम न्यायालय ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ही केंद्र व राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *