मराठा आरक्षण के लिए जारी शासनादेश में संशोधन आवश्यक : छगन भुजबल

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मुंबई{ गहरी खोज }: महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने मंगलवार को मुंबई में कहा कि मराठा आरक्षण के लिए हाल ही जारी किए शासन आदेश में संशोधन करना आवश्यक है। भुजबल ने कहा कि या तो राज्य सरकार को इस शासन आदेश को वापस लेना चाहिए या फिर इसमें संशोधन करना चाहिए।
छगन भुजबल ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार की ओर से मराठा आरक्षण से संबंधित 2 सितंबर को जारी नवीनतम शासन आदेश में प्रयुक्त कुछ शब्दों का अलग अर्थ निकल रहा है, इसलिए इसे वापस लेने या उसमें संशोधन करने की ज़रूरत है। छगन भुजबल ने कहा कि यह शासनादेश दबाव के तहत निकाला गया और मंत्री के रुप में उनसे इस संदर्भ में कोई चर्चा नहीं की गई। भुजबल ने यह भी बताया कि सभी मराठाओं को कुनबी कहने से यह समाज ओबीसी में शामिल हो जाएगा, जिससे ओबीसी में पहले से शामिल ३५० जातियों का हक बाधित होगा। भुजबल ने यह भी कहा कि अगर सरकार शासनादेश में संशोधन नहीं करेगी तो वे कोर्ट में जाएंगे।
छगन भुजबल पिछले मंगलवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। आज छगन भुजबल कैबिनेट में शामिल हुए और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी मुलाकात की। इसके बाद मंत्रालय में ही उन्होंने इस संदर्भ में पत्रकारों से भी बात की और कहा कि अगर सरकार ने इस शासनादेश में संशोधन नहीं किया तो उनके साथ कई लोग कोर्ट में जा सकते हैं।
दरअसल, 29 अगस्त को मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मुंबई के आज़ाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी। जरांगे ने मांग की कि मराठवाड़ा के पूरे मराठा समुदाय को कुनबी माना जाए और उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। इसके बाद 2 सितंबर को महाराष्ट्र सरकार ने विरोध समाप्त करने के लिए एक शासन आदेश जारी किया था। इसके बाद मनोज जारांगे ने अपनी भूख हड़ताल वापस ले ली थी। इसके बाद ओबीसी समाज की ओर से मराठा आरक्षण के संबंध में जारी शासनादेश का विरोध किया जा रहा है। इसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि ओबीसी आरक्षण को छुआ तक नहीं गया है और केवल उन्हीं लोगों को जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे जो अपनी कुनबी वंशावली साबित कर सकेंगे।

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