एमपी विधानसभा में मंत्री का जवाब बना मुद्दा: साक्षरता आंकड़ों की सच्चाई जानने की मांग तेज

भोपाल{ गहरी खोज }: मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य विधानसभा में स्वीकार किया है कि उसके पास राज्य की साक्षरता दर या बेरोजगार युवाओं की संख्या पर कोई अपडेट डेटा नहीं है। इसके बाद अब सामाजिक-आर्थिक मुद्दों के आंकलन और समाधान की क्षमता पर चिंता जताई जा रही है। सरकार साक्षरता के आंकड़ों के लिए 2011 की जनगणना पर निर्भर है और अपने रोजगार पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत बेरोजगार व्यक्तियों को ट्रैक नहीं करती है।
13 मार्च को, सरकार ने स्वीकार किया कि वह 2011 के बाद से साक्षरता में सुधार पर डिटेल नहीं दे सकती है, जबकि बेरोजगारी पर एक जवाब में पुष्टि की गई कि एमपी रोजगार पोर्टल केवल नौकरी चाहने वालों का रिकॉर्ड रखता है, वास्तविक बेरोजगारी के आंकड़े नहीं। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य के शिक्षित बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता प्रदान करने की कोई योजना नहीं है।
भाजपा विधायक अभिलाष पांडे ने स्कूल शिक्षा मंत्री से पूछा कि मध्य प्रदेश में वर्तमान साक्षरता दर क्या है और वर्ष 2011 में साक्षरता दर क्या थी? उन्होंने यह भी पूछा कि वर्ष 2011 से साक्षरता दर में कितने प्रतिशत की वृद्धि हुई है? विधायक ने यह भी जानना चाहा कि राज्य को 100% साक्षर बनाने के लिए विभाग की कार्य योजना क्या है और राज्य कब तक 100% साक्षर राज्य बन जाएगा? समय-सीमा बताएं।
स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़े जारी किए गए हैं। उनके अनुसार, वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की साक्षरता दर 69.3 प्रतिशत है। मंत्री ने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के प्रावधानों के अनुसार, केंद्र सरकार वर्तमान में 15 वर्ष से अधिक आयु के निरक्षरों को बुनियादी साक्षरता ज्ञान के साथ-साथ वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, कानूनी साक्षरता जैसे महत्वपूर्ण जीवन कौशल प्रदान करने के लिए ‘उल्लास – भारत साक्षरता कार्यक्रम’ चला रही है।
11 मार्च को, कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने विधानसभा में पूछा कि जनवरी 2025 तक राज्य के रोजगार कार्यालय में कितने बेरोजगार पंजीकृत हैं? उन्होंने यह भी पूछा कि वर्ष 2015, 2018, 2021, 2024 में इसी महीने में यह संख्या कितनी थी और 2015 की तुलना में 2025 में कितने प्रतिशत की कमी या वृद्धि हुई? कौशल विकास रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम टेटवाल ने अपने जवाब में कहा कि एमपी रोजगार पोर्टल पंजीकृत बेरोजगारों की जानकारी नहीं रखता है, लेकिन इच्छुक युवाओं की जानकारी रखता है। यह जवाब बेरोजगारी पर एक प्रश्न का हिस्सा था।
जवाब के साथ दिए गए आंकड़ों में कहा गया है कि मध्य प्रदेश में रोजगार मेलों की संख्या में वर्षों से गिरावट आ रही है और युवाओं को दिए जाने वाले नौकरी प्रस्ताव पत्रों की संख्या में भी गिरावट आई है। सरकार ने अपने जवाब में यह भी स्पष्ट किया कि राज्य के शिक्षित बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता प्रदान करने की कोई योजना नहीं है। राज्य में रोजगार मेलों की संख्या 2021-22 में 861 से घटकर 2023-24 में 563 हो गई। जॉब फेयर में युवाओं को दिए जाने वाले ऑफर लेटर 2021-22 में 121178 थे, जो 2023-24 में घटकर 52846 हो गए।
युवाओं को सरकार द्वारा आयोजित रोजगार मेलों के माध्यम से निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिलते हैं। एमपी रोजगार पोर्टल के अनुसार गुरुवार तक 29,25,353 युवा पंजीकृत थे। यह मध्य प्रदेश में बेरोजगार युवाओं का सटीक आंकड़ा नहीं है, लेकिन इसे राज्य में बेरोजगारी का अनुमान लगाने का आधार माना जाता है।