नेपाल में जनरल जेड का हंगामा: एफबी-इंस्टा बैन के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन, संसद में घुसे, 16 की मौत

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: नेपाल की राजधानी काठमांडू में आज (8 सितंबर 2025) हजारों युवाओं, खासकर जनरल जेड (जो 26 साल से कम उम्र के युवा), ने सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर हिंसक प्रदर्शन कर रहे है। ये सभी फेसबुक, इंस्टाग्राम, यू-ट्यूब और 26 अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगे बैन और सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध कर रहे थे। स्थिति बेकाबू होने पर हवाई फायरिंग की गई, जिसमें 16 प्रदर्शनकारी की मौत और 100 से ज्यादा घायल हुए है।
प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि कुछ लोग संसद भवन में घुस गए। पुलिस ने स्थिति को काबू करने के लिए आंसू गैस, रबर बुलेट्स और हवाई फायरिंग की, जिसमें एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई और कई घायल हुए। काठमांडू में कर्फ्यू भी लगा दिया गया।
सूत्रों के अनुसार, नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप, ट्विटर (X), लिंक्डइन और स्नैपचैट सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बैन कर दिया। सरकार का कहना था कि ये प्लेटफॉर्म्स नेपाल के नए सोशल मीडिया नियमों के तहत रजिस्टर नहीं हुए। सरकार ने फर्जी आईडी से नफरत फैलाने, साइबर क्राइम और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का हवाला दिया है। लेकिन Gen Z इसे अपनी अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला मानता है। इस बैन ने युवाओं में गुस्सा भड़का दिया, क्योंकि नेपाल की 30 मिलियन आबादी में 90% लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।
प्रदर्शनकारी, जिनमें ज्यादातर स्कूल-कॉलेज के छात्र थे, राष्ट्रीय झंडे और “भ्रष्टाचार बंद करो”, “सोशल मीडिया बैन हटाओ” जैसे नारे लिखे तख्तियों के साथ काठमांडू के न्यू बनेश्वर इलाके में संसद भवन की ओर बढ़े।
दिल्ली पुलिस ने कांटेदार तारों की बैरिकेडिंग की थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इसे तोड़ दिया और संसद परिसर में घुस गए। कुछ ने पुलिस पर पानी की बोतलें और पेड़ की टहनियां फेंकी। जवाब में पुलिस ने आंसू गैस, पानी की बौछारें और रबर बुलेट्स का इस्तेमाल किया है। स्थिति बेकाबू होने पर हवाई फायरिंग की गई, जिसमें 16 प्रदर्शनकारी की मौत और 100 से ज्यादा घायल हुए है।
काठमांडू जिला प्रशासन ने प्रदर्शन के हिंसक होने के बाद न्यू बनेश्वर और आसपास के इलाकों में दोपहर 12:30 से रात 10:00 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया है। कर्फ्यू का दायरा न्यू बनेश्वर चौक से एवरेस्ट होटल, मिन भवन, शांतिनगर, टिनकुने चौक, रत्न राज्या स्कूल और शंखमूल ब्रिज तक था। इसके बावजूद प्रदर्शनकारी पीछे नहीं हटे। गृहमंत्री रमेश लेखक को संसदीय समिति की बैठक छोड़कर आपातकालीन मीटिंग के लिए जाना पड़ा है।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम सोशल मीडिया के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अवैधता और देश को नीचा दिखाने के खिलाफ हैं। हमने एक साल तक सोशल मीडिया कंपनियों से कहा कि नेपाल के कानून के तहत रजिस्टर करें, टैक्स दें और जवाबदेह बनें। लेकिन उन्होंने जवाब दिया, ‘हमें तुम्हारा संविधान नहीं पता। क्या 4 नौकरियां राष्ट्रीय सम्मान से बड़ी हैं?” ओली का यह बयान प्रदर्शनकारियों को और भड़काने वाला साबित हुआ।