पितृदोष क्या होता है, कैसे लगता है? जानें कारण और निवारण

धर्म { गहरी खोज } : पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो गई है इस दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। पितरों का आशीर्वाद जहां जीवन की सभी बाधाओं को दूर करता है वहीं पितृदोष के कारण कई दिक्कतें जीवन में आती हैं। पितरों को हिंदू धर्म में देवताओं की संज्ञा दी गई है इसलिए हम उन्हें पितृदेव भी कहते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताने वाले हैं कि हमारे पितृ क्यों रूठ जाते हैं, हमें पितृदोष कैसे लग सकता है, पितृदोष होता क्या है और इसका निवारण कैसे किया जा सकता है।
पितृदोष क्या होता है, कैसे लगता है?
पितृदोष का सीधा सा अर्थ तो यह है कि पितृ आप से रुठे हुए हैं और इसके कारण आपके जीवन में परेशानियां आएंगी। ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो कुंडली में राहु की कुछ स्थितियां पितृदोष कारण बनती हैं। जैसे अगर सूर्य पर राहु की दृष्टि हो तो पितृदोष माना जाता है। इसके अलावा राहु और सूर्य एक साथ बैठे हों तब भी पितृदोष होता है। हालांकि यह स्थिति पंचम भाव में होने पर अधिक गंभीर होती है। इसके अलावा जब आप अपने पितरों का सही तरीके से अंतिम संस्कार नहीं करते, पूर्वजों का सम्मान नहीं करते, सांप को मार देते हैं, पेड़ों को काटते हैं तो पितृदोष लगता है।
पितृदोष के लक्षण
अगर आप पर पितृदोष का प्रभाव है तो नीचे दिए गए लक्षण आपको दिखेंगे-
- घर में कभी भी सुख-शांति का न रहना। परिवार के लोगों के बीच वाद-विवाद होना।
- संतान प्राप्ति में बाधाएं आना, संतान हो तो उसकी तबीयत बारबार खराब होना।
- करियर के क्षेत्र में सफलता न मिल पाना।
- सपने में बार-बार पितरों का दिखना।
- घर में पीपल के पेड़ का उग आना।
- मेहनत का उचित फल न मिलना।
पितृदोष का निवारण
पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए आपको सबसे जरूरी कार्य तो यह करना चाहिए कि पितृपक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। इसके अलावा पूर्णिमा और अमावस्या तिथियों पर पितरों के निमित्त दान करना चाहिए। चींटी, कुत्ता, मछली, गाय को अन्न और जल देना चाहिए। आपको नीम, पीपल और बरगद के पेड़ लगाने चाहिए और इनको पानी भी देना चाहिए। इसके अलावा शनिवार और अमावस्या के दिन पीपल तले दीपक जलाने से भी पितृ प्रसन्न होते हैं।