जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा, एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी…देखें गणेश जी की आरती के लिरिक्स

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Bappa Aagman

धर्म { गहरी खोज } :आज अनंत चतुर्दशी पर बप्पा की विदाई की जाती है जिसे गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। जिस तरह से गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा का आगमन धूमधाम से किया जाता है ठीक वैसे ही गणेश विसर्जन के दिन उनकी विदाई भी बड़े ही धूमधाम से की जाती है। इस साल गणेश विसर्जन का आखिरी दिन 6 सितंबर 2025 को मनाया जा रहा है। इस दिन ढोल नगाड़ों के साथ झांकियां निकालकर बप्पा को स-सम्मान किसी पवित्र जलाशय या नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। लेकिन बप्पा की विदाई से पहले सपरिवार उनकी आरती की जाती है। यहां जानिए गणेश विसर्जन के दिन गणेश भगवान की कौन-कौन सी आरती करनी चाहिए।

गणेशजी की आरती

गणपति जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
भगवान गणेश की जय, पार्वती के लल्ला की जय

स‍िंदूर लाल चढ़ायो गणेश आरती

गणेश जी की आरती हिंदी में
स‍िंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥
भावभगत से कोई शरणागत आवे।
संतत संपत सबही भरपूर पावे।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा आरती

गणपति जी की आरती
गणपति की सेवा मंगल मेवा,सेवा से सब विघ्न टरैं।
तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥
गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥
रिद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजें, अरु आनन्द सों चमर करैं।
धूप-दीप अरू लिए आरती भक्त खड़े जयकार करैं॥
गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥
गुड़ के मोदक भोग लगत हैं मूषक वाहन चढ्या सरैं।
सौम्य रूप को देख गणपति के विघ्न भाग जा दूर परैं॥
गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥
भादो मास अरु शुक्ल चतुर्थी दिन दोपारा दूर परैं।
लियो जन्म गणपति प्रभु जी दुर्गा मन आनन्द भरैं॥
गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥
अद्भुत बाजा बजा इन्द्र का देव बंधु सब गान करैं।
श्री शंकर के आनन्द उपज्या नाम सुन्यो सब विघ्न टरैं॥
गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥
आनि विधाता बैठे आसन, इन्द्र अप्सरा नृत्य करैं।
देख वेद ब्रह्मा जी जाको विघ्न विनाशक नाम धरैं॥
गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥
एकदन्त गजवदन विनायक त्रिनयन रूप अनूप धरैं।
पगथंभा सा उदर पुष्ट है देव चन्द्रमा हास्य करैं॥
गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥
दे शराप श्री चन्द्रदेव को कलाहीन तत्काल करैं।
चौदह लोक में फिरें गणपति तीन लोक में राज्य करैं॥
गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥
उठि प्रभात जप करैं ध्यान कोई ताके कारज सर्व सरैं
पूजा काल आरती गावैं। ताके शिर यश छत्र फिरैं॥
गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥
गणपति की पूजा पहले करने से काम सभी निर्विघ्न सरैं।
सभी भक्त गणपति जी के हाथ जोड़कर स्तुति करैं॥
गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

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