पश्चिम रेलवे में आपातकालीन कोटे की बंदरबांट, VIP को टिकट, आम जनता को धक्के

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रेलवे बोर्ड चुप, अफसरों की की मौज

मुंबई से रिपोर्ट।
पश्चिम रेलवे मुख्यालय (चर्चगेट) से एक बड़ा मामला सामने आया है, जहाँ आपातकालीन कोटे (Emergency Quota – EQ) के नाम पर टिकटों का बंटवारा पूरी तरह अफसरों और उनके खास लोगों के लिए हो रहा है। रेलवे बोर्ड के सख़्त आदेशों के बावजूद यह खेल लगातार जारी है। हैरानी की बात यह है कि आम जनता को वेटिंग लिस्ट और भीड़-भाड़ में घंटों खड़ा रहकर सफर करना पड़ता है, लेकिन बड़े अफसरों और VIP यात्रियों को हमेशा कन्फर्म टिकट मिल जाता है। जिन आदेशों का पालन होना चाहिए, उनका रजिस्टर तक मौजूद नहीं है।

RTI में जब जानकारी माँगी गई तो विभाग ने असली डेटा छुपा लिया। जवाब अधूरा और गोलमोल दिया गया। अपील करने पर भी वही पुराना जवाब दोहराया गया। मतलब साफ है कि रिकॉर्ड जनता के सामने लाने से रेलवे अफसर खुद डर रहे हैं। क्योंकि अगर असली सच सामने आ गया तो खुलासा होगा कि आपातकालीन कोटा जनता के लिए नहीं, बल्कि अफसरों की मौज-मस्ती का साधन बन गया है।

आम आदमी पर सख़्ती का आलम यह है कि अगर कोई 10 रुपये का प्लेटफॉर्म टिकट भी न खरीदे तो रेलवे उसे तुरंत पकड़कर जुर्माना ठोक देता है, मजिस्ट्रेट के सामने पेश करता है और नियमों का पाठ पढ़ाता है। लेकिन करोड़ों रुपये से जुड़े EQ टिकट घोटाले में GM और रेलवे बोर्ड तक सब चुप हैं।

रेलवे बोर्ड का आदेश और हकीकत

रेलवे बोर्ड आदेश संख्या 2010/TG/-I814/P DATE 09/02/20211 में साफ कहा गया है कि EQ टिकट सिर्फ आपातकालीन हालात में दिए जाएँगे, हर टिकट का रजिस्टर रखा जाएगा और हर माह GM और बोर्ड को रिपोर्ट भेजी जाएगी। लेकिन पश्चिम रेलवे मुख्यालय में न तो कोई रजिस्टर दिखाया गया और न ही कोई रिपोर्ट।


RTI में उठे सवाल, जवाब गायब

मुंबई के निवासी  ने RTI में पूछा कि किस अधिकारी ने कितने EQ टिकट बाँटे, VIP और आम यात्रियों में टिकट का बंटवारा कैसे हुआ और रेलवे बोर्ड की गाइडलाइन का पालन क्यों नहीं हो रहा।
जवाब देने के बजाय, CPIO (Commercial) और अपील अधिकारी जगदीश. प्रसाद (मुख्य वाणिज्य प्रबंधक व मुख्य दावा अधिकारी) ने सिर्फ अधूरी सूचना थमा दी।


जनता की पीड़ा, अफसरों की मौज

मुंबई-अहमदाबाद और मुंबई-जयपुर जैसी व्यस्त ट्रेनों में यात्री वेटिंग लिस्ट में धक्के खाते रहते हैं, कई लोग फर्श पर बैठकर या दरवाज़ों पर खड़े होकर सफर करते हैं। दूसरी तरफ GM, DRM, DCM, PRO और उनके करीबियों के लिए EQ से हमेशा कन्फर्म टिकट उपलब्ध रहता है।


बड़ा सवाल

👉 जब गरीब आदमी से 10 रुपये का प्लेटफॉर्म टिकट छूट जाता है तो रेलवे तुरंत जुर्माना वसूलता है, तो फिर करोड़ों के EQ टिकट घोटाले पर GM और रेलवे बोर्ड क्यों चुप हैं?
👉 क्या रेलवे बोर्ड अपने ही अधिकारियों पर कार्रवाई करेगा?
👉 या फिर आम जनता यूँ ही VIP माफिया के सामने बेबस बनी रहेगी

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