भारत-सिंगापुर ने व्यापक रणनीतिक साझीदारी के रोडमैप को मंजूरी दी

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: भारत एवं सिंगापुर ने अपनी बहुआयामी साझीदारी को एक व्यापक रणनीतिक साझीदारी के स्तर तक बढ़ाने की सहमति पर आधारित एक रोडमैप को मंजूरी दी जिसमें दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग, कौशल विकास, डिजिटलीकरण, कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा, रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग और लोगों से लोगों के बीच और सांस्कृतिक आदान-प्रदान सहित आठ प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को सुगम बनाने का मार्ग प्रशस्त किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के बीच गुरुवार को यहां हैदराबाद हाउस में हुई द्विपक्षीय बैठक में व्यापक और उपयोगी वार्ता हुई। वार्ता में दोनों नेताओं ने बहुआयामी साझीदारी को और सशक्त बनाने के अवसरों पर चर्चा की। पिछले साल प्रधानमंत्री की सिंगापुर यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझीदारी के स्तर तक बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की थी।
दोनों नेताओं ने इस व्यापक रणनीतिक साझीदारी के लिए एक रोडमैप को आज मंजूरी दी। यह रोडमैप आर्थिक सहयोग, कौशल विकास, डिजिटलीकरण, स्थिरता, कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा, रक्षा व सुरक्षा सहयोग, और लोगों से लोगों के बीच और सांस्कृतिक आदान-प्रदान सहित आठ प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को सुगम बनाएगा। दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पाँच समझौता ज्ञापन हुए हैं। इनमें हरित और डिजिटल शिपिंग कॉरिडोर पर सहयोग, अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना, नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में प्रशिक्षण और अनुसंधान एवं विकास में सहयोग, डिजिटल परिसंपत्ति नवाचार में सहयोग और चेन्नई में उन्नत विनिर्माण में कौशल विकास के लिए एक राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना शामिल है।
इसके अलावा व्यापार और आर्थिक विकास को सुगम बनाने के लिए क्षेत्रीय संपर्क और बंदरगाह अवसंरचना को बढ़ाने के महत्व पर ज़ोर देते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त रूप से जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट, महाराष्ट्र में भारत मुंबई कंटेनर टर्मिनल (बीएमसीटी) के दूसरे चरण के विकास का वर्चुअल उद्घाटन किया। डीबीएफओटी आधार पर विकसित यह परियोजना सिंगापुर की पीएसए इंटरनेशनल द्वारा संचालित है। इस चरण के पूरा होने से पीएसए की टर्मिनल क्षमता दोगुनी होकर 4.8 मिलियन टीईयू सालाना हो गई है, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा एकल कंटेनर टर्मिनल बन गया है और इस प्रकार जेएनपी देश का सबसे बड़ा कंटेनर बंदरगाह बन गया है।
बैठक के बाद विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) पी. कुमारन ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय व्यापार में निरंतर वृद्धि की सराहना की। यह 2004-05 में लगभग 6.7 अरब डॉलर से बढ़कर 2024-25 में लगभग 35 अरब डॉलर हो गया है। वे इस बात पर सहमत हुए कि दोनों पक्षों को भारत-सिंगापुर सीईसीए और आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) की अगली समीक्षा पर काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा, सिंगापुर ने आसियान के बाकी साझीदारों को हमारी स्थिति समझाने में मदद करने पर सहमति जताई है, ताकि एक ऐसी व्यवस्था पर पहुँचा जा सके जो दोनों पक्षों के लिए लाभ वाली स्थिति बन सके। हमारी ओर से व्यापक शिकायत यह है कि एआईटीआईजीए पर हस्ताक्षर के बाद से व्यापार घाटा बढ़ा है, और हमें व्यवस्थाओं में इस तरह बदलाव करने की कोशिश करनी चाहिए कि हम एक अधिक संतुलित व्यापार स्थिति में पहुँच सकें। इस संबंध में वाणिज्य विभाग ने कुछ सुझाव दिए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाये जा रहे टैरिफ के मुद्दे पर में सचिव (पूर्व) ने कहा कि इस मुद्दे पर विशेष रूप से बात नहीं हुई। उन्होंने कहा कि बैठक में व्यापक वैश्विक अनिश्चितता और व्यापार संबंधों, निवेश संबंधों में विविधता लाने और अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने और उन्हें अधिक लचीला बनाने को अधिक तरजीही देने, व्यापार समझौतों या मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की संभावना तलाशने की आवश्यकता के अलावा बैठक में कोई अन्य चर्चा नहीं हुई।
सचिव (पूर्व) ने कहा कि बैठक में नागरिक विमानन क्षेत्र में, यह मुद्दा उठाया गया कि विमानों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहालिंग (एमआरओ) सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र है। सिंगापुर भारत में एमआरओ सुविधाओं में निवेश करना और देश में क्षमता विकास में योगदान करना चाहता है। इस क्षेत्र में एसआईए इंजीनियरिंग सिंगापुर की एक कंपनी है जो टाटा के साथ साझीदारी करना चाहती है।
दोनों नेताओं की वार्ता के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया। इसमें बताया गया कि आर्थिक क्षेत्र में व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) के आधार पर द्विपक्षीय व्यापार और बाज़ारों तक पहुँच को सुनिश्चित करना और व्यापार एवं निवेश पर संयुक्त कार्य समूह की वार्षिक बैठक के माध्यम से दोनों देशों की व्यापार प्राथमिकताओं को ध्यान में रखने पर सहमति बनी है। दोनों पक्ष बातचीत जारी रखेंगे और सीईसीए की तीसरी समीक्षा शुरू करने की दिशा में प्रगति करेंगे तथा 2025 में आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) की पर्याप्त समीक्षा करेंगे।
चेन्नई में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने और तकनीकी शिक्षा-साझीदारी बढ़ाने का निर्णय लिया गया। यूपीआई-पे नाउ लिंकेज, साइबर सुरक्षा, फिनटेक और एआई जैसे क्षेत्रों में डिजिटल सहयोग को गहराने पर सहमति बनी। हरित ऊर्जा, जल प्रबंधन, खाद्य सुरक्षा और पेरिस समझौते ढांचे के अंतर्गत जलवायु सहयोग को बढ़ावा देने पर सहमति हुई।
रक्षा सहयोग में संयुक्त सैन्य अभ्यास, समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-निरोध और उभरती तकनीकों पर ध्यान दिया गया। ग्रीन एंड डिजिटल शिपिंग कोरिडोर हरित और डिजिटल शिपिंग कॉरिडोर और विमानन सेवाओं को विस्तार देने की दिशा में काम करने पर सहमति बनी। स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटल हेल्थ, नर्सिंग कौशल, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और शोध सहयोग पर बल दिया गया। छात्र-शिक्षक विनिमय, सांस्कृतिक कार्यक्रम और थिंक-टैंक सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।
दोनों देशों ने भारत-सिंगापुर व्यापार गोलमेज सम्मेलन और मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन को संस्थागत बनाने का निर्णय लिया। आतंकवाद व उग्रवाद के खिलाफ मिलकर काम करने, एफटीएफ व अन्य वैश्विक मंचों पर सहयोग बढ़ाने और आपसी कानूनी सहयोग मजबूत करने पर सहमति बनी।
प्रधानमंत्री वोंग की इस पद पर रहते हुए यह पहली भारत यात्रा है। इससे पहले वे उप-प्रधानमंत्री के तौर पर भारत का दौरा कर चुके हैं। यह यात्रा 2 सितंबर को शुरू हुई और आज रात तक जारी रहेगी। प्रधानमंत्री ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री के सम्मान में दोपहर के भोजन का आयोजन किया। प्रधानमंत्री वोंग आज बाद में राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे।