उच्चतम स्तर पर पंहुचा पौंग बांध का जलस्तर, बांध से छोड़ा गया 99,769 क्यूसेक पानी

धर्मशाला{ गहरी खोज }: ब्यास नदी के कैचमेंट एरिया में लगातार हो रही भारी वर्षा और पंडोह बांध से जल प्रवाह के कारण कांगड़ा जिले के पौंग बांध जलाशय का जलस्तर वीरवार सुबह 1,394.51 फीट तक पंहुच गया, जो इस वर्ष का अब तक का उच्चतम स्तर है। बांध के जलाशय में लगातार पांचवें दिन जलस्तर 1,390 फीट के खतरे के निशान से साढ़े चार फीट ऊपर पंहुच गया है।
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के अधिकारियों के अनुसार वीरवार सुबह बांध का औसत जल प्रवाह 1,32,595 क्यूसेक रहा, जबकि वास्तविक जल प्रवाह 1,07,301 क्यूसेक था। बढ़ते जल स्तर को नियंत्रित करने के लिए प्रबंधन द्वारा 99,769 क्यूसेक पानी नीचे की ओर छोड़ा गया है, जिसमें स्पिलवे के माध्यम से 74,179 क्यूसेक और टर्बाइनों के माध्यम से 16,988 क्यूसेक शामिल है। औसत जल प्रवाह 91,167 क्यूसेक दर्ज किया गया। अधिकारियों ने बताया कि स्थिति पर कड़ी नज़र रखी जा रही है।
उधर लगातार भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने से कांगड़ा जिला के इंदौरा और फतेहपुर उप-मंडलों के निचले इलाकों में पानी भर गया है, जिससे 621 हेक्टेयर से ज़्यादा ज़मीन पर लगी धान और मक्के की फ़सलों को नुकसान पंहुचा है। कृषि विभाग ने 128.80 लाख रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया है। 218.24 हेक्टेयर से ज़्यादा ज़मीन पर लगी मक्के की फ़सलें प्रभावित हुई हैं और 24.56 लाख रुपये का नुकसान आंका गया है। इसमें से 30 हेक्टेयर ज़मीन को 33 प्रतिशत से ज़्यादा नुकसान हुआ है। धान की फ़सल सबसे ज़्यादा प्रभावित हुई है, जहां 382.80 हेक्टेयर ज़मीन जलमग्न हो गई है और अनुमानित 95.70 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। लगभग 239 हेक्टेयर धान की फ़सल को 33 प्रतिशत से ज़्यादा नुकसान हुआ है।
उपायुक्त कांगड़ा हेम राज बैरवा का कहना है कि नुकसान का आकलन किया जा रहा है और राहत उपायों के लिए राज्य सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी जाएगी। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के किसानों को आगे पानी छोड़े जाने के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
इंदौरा उप-मंडल के मांड क्षेत्रों में बाढ़ के कारण कई गांव और बस्तियों में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है, जिससे लोग अंधेरे में हैं। 29 बिजली ट्रांसफार्मर और लगभग 9 से 10 किलोमीटर लंबी बिजली लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। बिजली बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि नदी का जलस्तर कम होने के बाद ही मरम्मत कार्य शुरू किया जा सकता है, क्योंकि वर्तमान में तेज़ बहाव के कारण फील्ड कर्मचारियों के लिए काम करना असुरक्षित है। बिजली आपूर्ति बाधित होने से जल परियोजनाएं भी प्रभावित हुई हैं, जिससे बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।