मनोज जरांगे ने मराठा आरक्षण पर सरकार को दी नसीहत, विश्वासघात पर देंगे चुनावी चोट!

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने चेतावनी दी कि अगर मराठों को आरक्षण के मुद्दे पर विश्वासघात का सामना करना पड़ा तो वे चुनावों में ‘‘उन्हें (सत्तारूढ़ दलों को) धूल चटा देंगे।” उन्होंने साथ ही कहा कि मराठा समुदाय के सभी सदस्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी में शामिल किया जाएगा। आरक्षण आंदोलन के नेता छत्रपति संभाजीनगर के एक निजी अस्पताल भर्ती है। जहां उन्हें मराठों के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई में अपनी पांच दिन की भूख हड़ताल समाप्त करने के बाद भर्ती कराया गया था।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय के सदस्यों को उनकी कुनबी जाति के ऐतिहासिक साक्ष्य के साथ कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा के बाद जरांगे ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था। कुनबी को राज्य में ओबीसी के रूप में वर्गीकृत किया गया है। जरांगे ने कहा, अगर हैदराबाद और सातारा के राजपत्र एक महीने में लागू नहीं हुए, तो हम उन्हें (सत्तारूढ़ दलों को) आगामी चुनावों में धूल चटा देंगे। मैं हर कदम पर यह सुनिश्चित करूंगा कि पूरा मराठा समुदाय ओबीसी श्रेणी में शामिल हो जाए।
कार्यकर्ता ने कहा कि आरक्षण के लिए उनका संघर्ष राज्य भर के मराठों के लिए है। उन्होंने कहा, ‘‘आंदोलन जारी रहेगा क्योंकि कोंकण क्षेत्र के मराठों को अभी तक आरक्षण नहीं मिला है। कोंकण के लोगों को आरक्षण का लाभ उठाना चाहिए, वरना उन्हें 40-50 साल बाद पछताना पड़ेगा। उन्हें किसी की बात नहीं सुननी चाहिए और अपनी आने वाली पीढ़ियों को खतरे में नहीं डालना चाहिए।”
उनसे ओबीसी के कल्याणकारी उपायों में तेजी लाने और आरक्षण से संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिए कैबिनेट उप-समिति के गठन के बारे में पूछा, तो जरांगे ने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमें कुछ मिलता है, तो वे (कुछ ओबीसी नेता) मांगें करते हैं।
वे हमेशा शिकायत करते रहते हैं। लेकिन अगर ओबीसी को इससे फायदा होता है, तो हमें खुशी होगी। अगर सरकार ओबीसी के लिए ऐसे कदम उठा रही है, तो उसे दलितों, मुसलमानों, आदिवासियों और किसानों के लिए भी उप-समितियां बनानी चाहिए।
मराठा आरक्षण का मुद्दा अभी सुलझता हुआ दिखायी नहीं दे रहा है। महाराष्ट्र के मंत्री और प्रमुख ओबीसी नेता छगन भुजबल कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हुए और बाद में उन्होंने आरक्षण के लिए पात्र मराठों को कुनबी का दर्जा देने संबंधी सरकारी आदेश पर नाराजगी जताई। उन्होंने संकेत दिया कि वह इसे कानूनी चुनौती देंगे।

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