ड्रग तस्करों परएनसीबी का शिकंजा: वीजा समाप्त फिर भी अवैध रूप से निवास कर रहे थे विदेशी

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: ड्रग तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने निर्धारित अवधि से अधिक समय तक भारत में रहने वाले विदेशी नागरिकों का डाटा तैयार किया है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो इन विदेशी नागरिकों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए राज्यों के साथ डेटा साझा किया है। इस डेटा में मादक पदार्थ की तस्करी में शामिल विदेशी नागरिक, विशेष रूप से अफ्रीकी देशों के नागरिक शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अफ्रीकी देशों से निर्धारित अवधि से अधिक समय तक रहने वाले विदेशी नागरिकों की संख्या 25,304 है।
एनसीबी ने मंगलवार को दिल्ली से एक नाइजीरियाई नागरिक को मादक पदार्थ तस्करी में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया। जो 2023 में मेडिकल वीजा पर भारत में था 2024 में वीजा की समाप्ति के बाद भी भारत में रह रहा था। नाइजीरियाई नागरिक नशा तस्करी और दिल्ली से कोकीन सप्लाई कार्टेल स्थापित करने में शामिल था।
इन ड्रग तस्कर को एनसीबी द्वारा चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इथियोपिया से आए दो भारतीय नागरिकों की गिरफ्तारी के बाद हुई थी। यह विदेशी ड्रग कार्टेल भारत से शिक्षित युवाओं की भर्ती करता है ताकि भारत को एक ड्रग बाजार बनाया जा सके। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारी ने कहा कि उम्मीद है कि विभिन्न राज्यों में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ निर्धारित सूची साझा करने से ड्रग तस्करी पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
नए आव्रजन और विदेशी अधिनियम, 2025 के तहत, भारतीय वीजा की अवधि से अधिक रुकने वाले विदेशी नागरिक को कारावास 3 साल तक और 3 लाख रुपये तक का जुर्माना, नजरबंदी, निर्वासन और भविष्य में भारत में प्रवेश पर संभावित प्रतिबंध सहित कई परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। पहले भी एनसीबी ने इथियोपिया, नाइजीरिया रवांडा जैसे देशों के नागरिकों को अवैध रूप से भारत में रह कर ड्रग तस्करी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
नारकोटिक्स विभाग के एक अधिकारी ने बताया, जहां अनजाने में, अज्ञानतावश या किसी अन्य कारण से समय से अधिक रुकना होता है, वहां जुर्माना वसूलने के बाद समय से अधिक रुकने की अवधि को नियमित कर दिया जाता है और जरूरत पड़ने पर वीजा अवधि बढ़ा दी जाती है। लेकिन जिन मामलों में समय से अधिक रुकना अनुचित पाया जाता है, उन मामलों में विदेशी अधिनियम 1946 के अनुसार उचित कार्रवाई की जाती है।