प्रगति मैदान कॉरिडोर के अधूरे अंडरपास का निर्माण कार्य अक्तूबर से होगा शुरू

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: प्रगति मैदान इंटीग्रेटेड ट्रांजिट कॉरिडोर के अंतिम अधूरे अंडरपास का निर्माण कार्य अगले महीने से शुरू होने की उम्मीद है। निर्माण शुरू होने के बाद इसे 6 महीने में पूरा कर लिया जाएगा। दिल्ली सरकार ने रेल मंत्रालय के अधिकारियों को भैरोमार्ग अंडरपास के निर्माण के लिए रेलवे से जल्द एनओसी (अनापत्ति प्रमाणत्र) देने के लिए कहा है, जिससे मानसून समाप्त होते ही इस अंडरपास का काम शुरू हो सके। यह अंडरपास भैरो मार्ग से रिंग रोड को जोड़ने वाला अंडरपास-5 कॉरिडोर की आखिरी कड़ी है।
लोक निर्माण मंत्री प्रवेश वर्मा ने इस अंडरपास को लेकर रेलवे और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के साथ हाल ही में एक बैठक की है। दोनों विभागों को समन्वय से काम करने और समय पर कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है ताकि नागरिकों को इसके बनने से लाभ मिल सके। इस अंडरपास का भैरो मार्ग से रिंग रोड पर सराय काले खां जाने वाला भाग अधूरा है।
इलाके में लग रहे जाम को देखते हुए रिंग रोड से भैरो मार्ग पर आने वाले भाग पर ही दोनों तरफ आने जाने का यातायात चलाया जा रहा है। 2023 में यमुना में आई बाढ़ का पानी भर जाने से इस अंडरपास के बाक्स जमीन में बैठ गए थे, तब से काम रुका हुआ है। भैरो मार्ग, रिंग रोड टी-प्वाइंट पर इस अंडरपास का निर्माण हो रहा है। इसके ऊपर से प्रमुख रेलवे लाइनें गुजर रही हैं। इसके चलते दिन भर इस पर ट्रेनों का आवागमन रहता है। इसका काम भी जून 2022 तक पूरा किया जाना था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रगति मैदान सुरंग सड़क सहित पांच अंडरपास के साथ इसका भी उद्घाटन किया जाना था। मगर काम पूरा न होने पर जुलाई 2023 में यमुना में आई बाढ़ का पानी इसके अंदर भर गया ।उस समय तक इस अंडरपास की एक तरफ की सड़क तैयार हो चुकी थी।
जिस बाक्स पुशिंग तकनीक से इसका निमार्ण किया जा रहा था, बाढ़ से उसके कई बाक्स जमीन में धंस गए। 110 मीटर लंबाई में से अब केवल 28 मीटर का काम शेष है। इसे बनाने में केंद्रीय आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय 80 प्रतिशत राशि खर्च कर रहा है, जबकि 20 फीसदी फंड आईटीपीओ का खर्च हो रहा है।
इसके ऊपर से रेलवे लाइनें गुजरती हैं। दिल्ली सरकार को इस के निर्माण को पूरा करने के लिए केंद्र से हरी झंडी मिल चुकी है। दिल्ली सरकार इस निर्माण के लिए आईआईटी दिल्ली, मुंबई और सेंट्रल बिल्डिंग रिचर्स इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) जैसे शीर्ष संस्थानों से सलाह ले चुकी है और उनके सुझावों के आधार पर कास्ट-इन-सिटू तकनीक अपनाने का निर्णय लिया है। यह तरीका रेलवे लाइन को बिना छेड़े सुरंग निर्माण पूरा कर सकेगा और सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर है। कास्ट-इन-सिटू तकनीक के तहत पहले से तैयार किया हुआ कोई पार्ट नहीं जोड़ा जाता है, बल्कि मौके पर ही निर्माण कर धीरे धीरे आगे बढ़ा जाता है।