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संपादकीय { गहरी खोज }: भारत पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जापान और चीन की यात्रा एक विशेष महत्त्व रखती है। जापान ने अपने निजी क्षेत्र के जरिये अगले 10 वर्षों में भारत में 10 लाख करोड़ येन (67 अरब डॉलर) के निवेश का लक्ष्य रखा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापानी कंपनियों से ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ का आग्रह किया। मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के बीच टोक्यो में 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों देशों ने कहा कि वे 21 परिणामों पर सहमत हुए हैं, जिनमें कई बड़े समझौते भी शामिल हैं। दोनों पक्षों ने 13 प्रमुख समझौतों को अंतिम रूप दिया जिनमें रक्षा संबंधों को बढ़ाने की प्रतिबद्धता, भारत में महत्त्वपूर्ण खनिजों की खोज और खनन में जापानी निवेश, सेमीकंडक्टर क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, देश में हाई स्पीड रेल नेटवर्क का विस्तार करने के लिए जापानी सहायता और जापान में 50,000 कुशल और अर्ध-कुशल भारतीयों का प्रशिक्षण शामिल हैं। दोनों पक्षों ने भारत में जापान इंडस्ट्रियल टाउनशिप की मदद के लिए द्विपक्षीय प्रयासों का समर्थन किया, व्यापक आर्थिक साझेदारी करार को अधिक दूरंदेशी बनाने के लिए इसके कार्यान्वयन की समीक्षा की तथा भारतीय राज्यों और जापान के प्रांतों के बीच जुड़ाव बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की। मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच यह जुड़ाव नई दिल्ली और टोक्यो तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि जापानी प्रांतों तथा भारत के राज्यों के बीच संस्थागत सहयोग के माध्यम से गहरा होगा, जिससे अवसर के नए दरवाजे खुलेंगे।
बयान में कहा गया है कि राज्य-प्रांत भागीदारी हाल में आंध्र प्रदेश और तोयामा, तमिलनाडु और एहिमे, उत्तर प्रदेश और यामानाशी तथा गुजरात और शिजुओका के बीच कायम की गई है। भारत ने जापानी निवेश में वृद्धि के लिए एसएमई और स्टार्टअप की पहचान की है। मोदी ने कहा कि भारत और जापान दोनों देशों के छोटे और मध्यम उपक्रमों तथा और स्टार्टअप को जोड़ने पर विशेष ध्यान देंगे। अन्य समझौतों में जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा, चंद्रयान-5 के प्रक्षेपण में भारत की मदद करेगी। मोदी ने कहा कि इससे एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनेगा जहां नवाचार प्रयोगशालाओं से लॉन्च पैड तक और अनुसंधान से वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों तक होगा। हाई-स्पीड रेल परियोजना में जापानी सहायता के बारे में मोदी ने जापान में दिए गए साक्षात्कार में बताया, ‘मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना कुछ वर्षों में चालू हो जाएगी। हमने एक बड़ी महत्त्‌वाकांक्षी योजना देश में 7,000 किलोमीटर लंबा हाई-स्पीड रेल नेटवर्क बनाने की पहल की है और इसमें जापानी कंपनियों की सक्रिय भागीदारी का स्वागत करता हूं।’ मोदी ने कहा कि रक्षा और समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में भारत और जापान के साझा हित हैं जो रक्षा उद्योग एवं नवाचार को मजबूती देंगे। उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक विश्वास और स्वाभासिक तौर पर एक-दूसरे के पूरक होने के साथ हम न केवल अपने लिए बल्कि दुनिया के लिए भी अगली पीढ़ी के रक्षा प्लेटफॉर्म को डिजाइन एवं उत्पादन कर सकते हैं।’ प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते की समीक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से इस समझौते को पूरी क्षमता के साथ लागू किया जा सकेगा।
प्रधानमंत्री ने भारत-जापान व्यापार को अधिक संतुलित बनाने के लिए उसमें विविधता लाने पर भी जोर दिया। मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने हमारी विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी में एक नए एवं सुनहरे अध्याय की मजबूत नींव रखी है। उन्होंने कहा, ‘हमने अगले दशक के लिए एक रूपरेखा तैयार की है।’ संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने सहयोग के लिए प्राथमिकता वाले तीन क्षेत्रों की पहचान की है। इनमें रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना, आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बेहतर करना शामिल हैं। इसके अलावा दस साल की रूपरेखा में आर्थिक सुरक्षा, मोबिलिटी, पर्यावरण, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार, स्वास्थ्य, लोगों के बीच आदान-प्रदान और भारतीय के राज्यों एवं जापान के प्रांतों के बीच जुड़ाव जैसे 8 प्रमुख मुद्दे शामिल हैं। मोदी और इशिबा ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की भी कड़ी निंदा की और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की निगरानी टीम द्वारा हमले के लिए द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का उल्लेख करने वाली रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया। संयुक्त बयान के अनुसार, इशिबा ने भारतीय पक्ष से 10 लाख करोड़ येन का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य प्राप्त करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए अपने नियामक और अन्य सुधारों को जारी रखने का अनुरोध किया। मोदी ने भारत में निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए अतिरिक्त नियामक और अन्य सुधार करने के अपने इरादे को दोहराया और अधिक से अधिक जापानी उद्यमियों को इनका लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया। दोनों नेताओं ने फुकुओका में भारतीय वाणिज्य दूतावास खुलने का स्वागत किया। इस वाणिज्य दूतावास के शुरू होने से जापान के क्यूशू क्षेत्र और भारत के बीच संबंध और मजबूत होंगे। उन्होंने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए क्वाड समूह के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई। प्रधानमंत्री ने इस साल के अंत में आयोजित होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए जापान के प्रधानमंत्री को भारत आने का न्योता दिया।
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि भारत और जापान एक-दूसरे को सहयोग देते हुए एक नया अध्याय लिख रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना कि जापान की तकनीक और भारत की प्रतिभा मिलकर विकास की गति को तेज करने की क्षमता रखते हैं महत्त्वपूर्ण है। अमेरिका को उसकी भाषा में समझाने के लिए भारत और जापान का सहयोग महत्त्वपूर्ण – इरविन भूमिका निभाएगा।

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