सेबी ने शेयर सूचकांक वायदा में कारोबार के दौरान खरीद-बिक्री की निगरानी के लिए नया ढांचा किया पेश

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शेयर सूचकांक वायदा में कारोबार के दौरान खरीद-बिक्री निगरानी के लिए एक नया ढांचा पेश किया है। इसका उद्देश्य बड़े जोखिमों से होने वाले खतरों को रोकना है। बाजार नियामक (सेबी) ने परिपत्र में कहा कि नए ढांचे के तहत सूचकांक वायदा-विकल्प में कारोबार के दौरान प्रति इकाई शुद्ध सीमा 5,000 करोड़ रुपये जबकि दिन के अंत में यह सीमा 1,500 करोड़ रुपये कर दी गई।
कारोबर के दौरान सकल सीमा को ‘‘ 10,000 करोड़ तक सीमित कर दिया गया है, जो मौजूदा दिन के अंत की सीमा के समान है। यह सीमा खरीदने (दाम बढ़ने का अनुमान) और बेचने (दाम घटने का अनुमान) पर अलग-अलग लागू होती है। एक अक्टूबर से प्रभावी होने वाला यह ढांचा सभी व्यापारिक दिनों में बाजार-निर्माण गतिविधि को सुगम बनाएगा, साथ ही व्यवस्थित व्यापार के लिए सौदे की समाप्ति के दिन बड़े पैमाने पर कारोबर के दौरान खरीद-बिक्री स्थिति की निगरानी करेगा और उससे उत्पन्न होने वाले जोखिम को कम करेगा।
यह कदम सेबी के अमेरिकी कंपनी जेन स्ट्रीट को भारतीय प्रतिभूति बाजार से अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने के बाद उठाया गया है। सेबी ने कंपनी को नकदी और वायदा एवं विकल्प बाजारों में एक साथ दांव लगाकर अच्छा मुनाफा कमाने के लिए सूचकांकों में हेरफेर करने का दोषी पाया है।
बाजार नियामक ने सोमवार देर रात जारी अपने परिपत्र में कहा कि शेयर बाजार कम से कम कारोबार के दौरान किसी भी समय खरीद-बिक्री के चार सौदों की निगरानी करेंगे। इसमें अपराह्न दोपहर पौने तीन बजे से साढ़े तीन बजे के बीच के सौदे भी शामिल है, क्योंकि इस अवधि में आमतौर पर गतिविधि में वृद्धि देखी जाती है।
सीमा का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं के लिए शेयर बाजार सूचकांक पर कारोबार के तरीके की जांच करेंगे और ग्राहकों से ऐसी गतिविधियों के लिए तर्क मांगेंगे। सेबी ने कहा कि सीमा का उल्लंघन करने पर शेयर बाजारों द्वारा संयुक्त रूप से तय किया गया जुर्माना या अतिरिक्त निगरानी जमा राशि लागू होगी।

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