भारत अब विश्व की 121 बायो-कंपनियों में से 21 का प्रतिनिधित्व करता हैः डॉ. जितेन्द्र सिंह

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोमवार को बायोई3 (बायोटेक्नोलॉजी फॉर इकोनॉमी, एनवायरनमेंट एंड एम्प्लॉयमेंट) नीति के तहत हाई-परफॉर्मेंस बायोमैन्युफैक्चरिंग प्लेटफॉर्म्स का शुभारंभ किया। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत अब विश्व की 121 बायो-कंपनियों में से 21 का प्रतिनिधित्व करता है। आज हम उन पहले देशों में शामिल हैं, जिन्होंने बायोमैन्युफैक्चरिंग नीति को संस्थागत रूप दिया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार का ध्यान बायोमैन्युफैक्चरिंग पर केंद्रित होना, भारत को महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने और आयात पर निर्भरता कम करने की बड़ी दृष्टि का हिस्सा है। “बायो-एनब्लर्स भारत की बायोटेक्नोलॉजी आधारित विकास की अगली लहर की नींव हैं।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि देश की बायोइकोनॉमी लगभग 10 अरब डॉलर से बढ़कर आज 100 अरब डॉलर के करीब पहुंच गई है, और आने वाले वर्षों में इसे 300 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि बायोटेक स्टार्टअप्स की संख्या एक दशक पहले मात्र 50 थी, जो आज बढ़कर 13,000 से अधिक हो गई है। उन्होंने कहा कि बायोमैन्युफैक्चरिंग केवल स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण में नवाचार को ही नहीं बढ़ावा देता बल्कि यह पेट्रोलियम आयात कम करने और देश की भू-राजनीतिक स्थिति को मज़बूत करने में भी योगदान देता है। उन्होंने जोड़ा कि जिस प्रकार “आईटी” (सूचना प्रौद्योगिकी) 1990 के दशक में भारत की विकास गाथा का पर्याय बन गया था, उसी तरह आने वाले दशकों में “बीटी” (बायोटेक्नोलॉजी) भारत की विकास यात्रा का अहम शब्द बनेगा।
बायो टेक्नॉलजी विभाग के सचिव डॉ. राजेश एस. गोखले ने इस लॉन्च को एक “अभिनव कदम” बताया, जो वैश्विक बायोइकोनॉमी में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को और तेज़ करेगा तथा विभिन्न क्षेत्रों में सतत समाधान उपलब्ध कराएगा।