स्थानीय स्तर पर बाढ़ जोखिम प्रबंधन योजनाएं बनाने पर रहना चाहिए जोरः सीईईडब्ल्यू

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: दिल्ली में लगातार हो रही बारिश और हथिनीकुंड बैराज से छोड़े जा रहे पानी के कारण एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। आज सुबह 9 बजे हथिनीकुंड बैराज से 3 लाख 29 हजार 313 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। यह पानी जब यह दिल्ली पहुंच जाएगा तो उस समय बाढ़ जैसे हालात पैदा हो सकती है। इस बाढ़ की स्थिति के मद्देनजर विशेषज्ञ कई उपाय सुझा रहे हैं जिसमें से बाढ़ के ‘हॉटस्पॉट’ को चिन्हित करने और आवश्यक कदमों की प्राथमिकता निर्धारित करने के लिए ‘शहर या स्थानीय स्तर पर बाढ़ जोखिम प्रबंधन योजनाएं’ बनाने पर जोर दिया गया है।
सोमवार को बाढ़ की स्थिति पर विज्ञप्ति जारी करते हुए काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के फेलो नितिन बस्सी ने कहा कि इस साल मानसून में, यमुना दिल्ली के पुराने रेलवे पुल पर 205.33 मीटर के खतरे के निशान को पहले ही तीन बार पार कर चुकी है। अनुमान है कि 2 सितंबर की देर शाम तक यह 206 मीटर तक पहुंच जाएगी, क्योंकि हथनीकुंड बैराज से छोड़ा गया 3 लाख क्यूसेक से अधिक पानी अगले 48 घंटों के भीतर दिल्ली के वजीराबाद पहुंचने की उम्मीद है। जुलाई और अगस्त में अधिक बारिश और पश्चिमी हिमालय में भूमि उपयोग में बदलाव के कारण मानसून के दौरान यमुना में पानी बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में पहले से ही जलभराव और स्थानीय बाढ़ की समस्या है, इसलिए हमें अपनी तैयारी को और बेहतर बनाने की जरूरत होगी। ठाणे और नवसारी में किए गए बाढ़ जोखिम प्रबंधन नियोजन से मिली काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की जानकारियों के अनुसार बाढ़ के ‘हॉटस्पॉट’ को चिन्हित करने और आवश्यक कदमों की प्राथमिकता निर्धारित करने के लिए ‘शहर या स्थानीय स्तर पर बाढ़ जोखिम प्रबंधन योजनाएं’ बनाने, बाढ़ के मैदानों पर निर्माण गतिविधियों को रोकने व अवैध कब्जों को हटाने के लिए भूमि उपयोग नियमों को बेहतर ढंग से लागू करने, स्थानीय जल निकासी व्यवस्था को बाधित होने से बचाने के लिए ठोस कचरा प्रबंधन नीतियों को लागू करने, और बाढ़ के अतिरिक्त पानी को सोख सकने वाले शहरी ग्रीन व ब्लू स्थानों को फिर से जीवित करने जैसे कदम उठाने जरूरी हैं। दिल्ली में भी भविष्य में आने वाली बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए ऐसे कदमों को उठाना जरूरी है।