‘सनातन धर्म’ टिप्पणी: न्यायालय 2026 में उदयनिधि स्टालिन की याचिका पर सुनवाई करेगा

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन की उस याचिका पर 2026 में सुनवाई करेगा जिसमें उन्होंने 2023 में ‘‘सनातन धर्म को खत्म करने’’ संबंधी अपने बयान पर दर्ज सभी प्राथमिकियों और शिकायतों को एक साथ संलग्न करने एवं मामलों को एक स्थान पर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। स्टालिन की याचिका पर न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता (स्टालिन) की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बताया कि स्टालिन के खिलाफ कई प्राथमिकी और शिकायतें दर्ज की गई हैं।
रोहतगी ने कहा, ‘‘इस न्यायालय ने पहले भी कई मामलों में दो काम किए हैं।’’ न्यायमूर्ति नाथ ने इसके जवाब में कहा, ‘‘इस न्यायालय ने पहले भी कई काम किए हैं। इसका मतलब यह नहीं कि हमें भी वही काम करना चाहिए।’’ जब रोहतगी ने मामले को 2026 के लिए स्थगित करने का आग्रह किया तो पीठ ने इसकी अनुमति दे दी।
न्यायालय ने छह मार्च को स्टालिन के विवादास्पद ‘‘सनातन धर्म को खत्म करो’’ वाले बयान पर न्यायालय की अनुमति के बिना कोई नयी प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का आदेश दिया था। उच्चतम न्यायालय स्टालिन की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें द्रमुक नेता ने प्राथमिकियों को संलग्न करने और शिकायतों को भविष्य की कार्यवाही के लिए एक स्थान पर स्थानांतरित किए जाने का अनुरोध किया था। न्यायालय ने कहा, ‘‘हम यह निर्देश देना भी उचित समझते हैं कि इस न्यायालय की अनुमति के बिना आगे कोई मामला दर्ज नहीं किया जाएगा और न ही आगे बढ़ाया जाएगा।’’ स्टालिन ने सितंबर 2023 में एक सम्मेलन में कथित तौर पर कहा था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है और इसको ‘‘खत्म’’ किया जाना चाहिए। उन्होंने इसकी तुलना कोरोनावायरस, मलेरिया और डेंगू से करते हुए इसे ‘‘नष्ट’’ करने का आह्वान किया था।