जबलपुर इसाफ बैंक लूट का राज़ बेनकाब, बिहार का निकला मास्टरमाइंड; रायगढ़ जेल में बनी थी साजिश

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जबलपुर{ गहरी खोज }: खितौला थानान्तर्गत हुई बैंक डकैती के मास्टरमाइंड को पुलिस ने साथी के साथ बिहार से गिरफ्तार किया है। मास्टरमाइंड बैंक डकैती के आरोप में दो माह पूर्व ही रायगढ़ जेल से छूटा था। उसने देश के विभिन्न जिलों में एक दर्जन से अधिक बैंक डकैती की वारदातों को अंजाम दिया है। पुलिस ने मास्टरमाइंड के पास से तीन किलो सोना बरामद किया है। बैंक डकैती में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।
जबलपुर एसपी संपत उपाध्याय ने बताया कि खितौला स्थित इसाफ स्मॉल फाइनेंस बैंक डकैती के मास्टरमाइंड राजेश दास उर्फ आकाश दास को गया, बिहार से गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने आरोपी के पास से तीन किलो सोना बरामद किया। बाकी का सोना अन्य सदस्यों को बांटना बताया है।
वह बैंक डकैती का शातिर मास्टरमाइंड है। उसने साल 2011 से 2025 तक सासाराम, जमुई, पुरुलिया और रायगढ़ सहित अन्य स्थानों पर एक दर्जन से अधिक बैंक डकैती को वारदात को अंजाम दिया है। वह विगत 18 जून को जमानत पर रायगढ़ जेल से रिहा हुआ था। इसके दो माह बाद ही अपने साथियों के साथ खितौला बैंक डकैती को अंजाम दिया।
मामले में जबलपुर पुलिस आरोपी रईस लोधी को पहले ही पकड़ चुकी है। इसी की निशानदेही पर राजेश दास की तलाश की जा रही थी। इसके लिए बिहार-झारखंड और उत्तर प्रदेश पुलिस को अलर्ट किया गया था।
बिहार पुलिस को दो दिन पहले पता चला कि आरोपी गया में है। उसकी निगरानी करते हुए जबलपुर पुलिस को सूचना दी गई। वहां पहुंचने के बाद जबलपुर, झारखंड और बिहार पुलिस ने दबिश देकर आरोपी को गिरफ्तार किया।
जबलपुर पुलिस दोनों आरोपियों को गया से लेकर सोमवार सुबह 11 बजे जबलपुर पहुंची। इन आरोपियों से अब बाकी के 11 किलो 800 ग्राम गोल्ड और 5 लाख रुपए कैश के बारे में पूछताछ की जा रही है।
जबलपुर एसपी ने बताया कि गैंग के सहयोगी इंद्रजीत दास उर्फ सागर दास को बिहार पुलिस की मदद से अभिरक्षा में लेकर पूछताछ की थी। उसी से पूछताछ में यह जानकारी मिली कि उसके रुकने के लिए डोभी में व्यवस्था की गई है। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर दबिश देकर मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया। गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है और उन्हें शीघ्र गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
गौरतलब है कि खितौला थानान्तर्गत स्थित इसाफ स्मॉल फाइनेंस बैंक की शाखा में सोमवार 11 अगस्त की सुबह 8.50 बजे हेलमेट पहनकर पहुंचे तीन युवकों ने लूट की घटना को अंजाम दिया था। लॉकर में रखे लगभग 15 किलो सोना और 5 लाख रुपए लेकर फरार हो गए थे। घटना के समय फाइनेंस बैंक में सिर्फ चार कर्मचारी ही मौजूद थे। आरोपी युवकों ने 20 मिनट में वारदात को अंजाम दिया था। पुलिस ने जांच के बाद बैंक डकैती में शामिल तीन स्थानीय और एक दमोह निवासी युवक को गिरफ्तार किया था। दरअसल, पाटन निवासी रईस मादक पदार्थ की तस्करी के आरोप में छत्तीसगढ रायगढ़ जेल में बंद था। इस दौरान उसकी दोस्ती डकैती के आरोप में जेल में बंद बिहार गैंग से हुई थी। जेल में ही रईस और बिहार गैंग के सदस्यों ने बैंक डकैती की योजना तैयार की थी।
रईस ने अपने साथी हेमराज के नाम पर नई मोटरसाइकिल फाइनेंस करवाई थी। जिनका उपयोग घटना में किया गया। बैंक डकैती की घटना को अंजाम देने के बाद बिहार गैंग के पांचों आरोपी इंद्राना स्थित मकान में पहुंचे थे। रईस और हेमराज ने उन्हें सुरक्षित दमोह तक पहुंचाया था। दमोह में रईस के साथी विकास चक्रवर्ती ने उनके खाने की व्यवस्था ढाबे में करवाई और कोलकाता एक्सप्रेस से झारखंड जाने के लिए ट्रेन टिकट की व्यवस्था की।
राजेश अंतरराज्यीय ‘दास गैंग’ का सरगना है। उसकी गिरफ्तारी के बाद भी लूटा गया पूरा सोना बरामद नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि कुछ साथी बाकी सोना लेकर फरार हो गए हैं। वारदात के बाद से ही जबलपुर क्राइम ब्रांच और जिला बल की कई टीमें आरोपियों के पीछे लगी थीं। आईजी प्रमोद वर्मा ने गिरफ्तारी पर 30 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया था।
इंद्रजीत ने बताया राजेश दास का ठिकाना एमपी पुलिस को सफलता उस समय मिली जब बिहार और झारखंड की पुलिस ने दास गिरोह के सदस्य इंद्रजीत दास को गया जिले के गुरुवा थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया। पूछताछ में इंद्रजीत ने बताया कि गिरोह का सरगना राजेश रवि दास है और वह गया जिले के डोभी थाना क्षेत्र में छिपा है। एमपी पुलिस ने बिहार और झारखंड पुलिस के साथ मिलकर गया में घेराबंदी की और मुख्य सरगना राजेश दास को पकड़ा। पूछताछ में उसने जबलपुर में डकैती करना स्वीकार किया।
आरोपी ने बताया कि लूटे गए रुपए और गोल्ड आपस में बांट लिए थे। राजेश को 3 किलो सोना और 50 हजार कैश मिले थे। जबकि लूट का बाकी सामान अन्य सदस्यों ने बांट लिए। आरोपी ने एक खेत में जेवर छिपाए थे, जिसे जब्त कर लिया गया है।
बिहार का हार्डकोर डकैत, 12 शहरों में केस आरोपी राजेश दास मूल रूप से गया का रहने वाला है। वह बिहार का हार्डकोर डकैत है। उस पर 2011 से 2025 के बीच सासाराम, गया, जमुई, पुरुलिया और रायगढ़ (छत्तीसगढ़) सहित 12 शहरों में बैंक डकैती और डकैती के मामले दर्ज हैं।
वह डकैती के मामले में रायगढ़ जेल में बंद था और 18 जून को ही छूटा था। इसी जेल में चोरी के आरोप में बंद रहे जबलपुर के रईस लोधी से उसकी मुलाकात हुई थी और वहीं खितौला बैंक डकैती की योजना बनी थी।
11 अगस्त की सुबह करीब 9 बजे हथियारबंद डकैत हेलमेट पहनकर बैंक में घुसे थे और कट्‌टा दिखाकर धमकाते हुए 15 मिनट में 14 किलो 800 ग्राम सोना, 5 लाख 70 हजार रुपए नकद लेकर भाग गए थे। मामले में पाटन उडना निवासी रईस लोधी, हेमराज सिंह, इंद्राना निवासी सोनू बर्मन और दमोह निवासी विकास चक्रवर्ती की पहले गिरफ्तारी हो चुकी है।
पुलिस पूछताछ में आरोपी रहीस सिंह ने बताया था कि सारा गोल्ड बिहार के रहने वाले साथियों के पास छिपा दिया है। डेढ़ लाख अपने पास रखे थे। इनका प्लान था कि सोना लेकर कुछ लोग बिहार में छिपे रहेंगे। मौका पाकर हम बिहार जाएंगे और वहां बंटवारा कर लेंगे। आरोपी के बयान के आधार पर एमपी पुलिस ने बिहार पुलिस को अलर्ट किया था और तभी से बिहार एसटीएफ आरोपियों को तलाश कर रही थी।

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