17 वर्षीय कोयल बार ने राष्ट्रमंडल वेटलिफ्टिंग में टॉप किया, दो विश्व रिकॉर्ड बनाए

कलकत्ता { गहरी खोज } : पश्चिम बंगाल का हावड़ा अब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वेटलिफ्टरों के लिए एक केंद्र बन गया है। इससे पहले, यहां कि अचिंत्य शेउली ने राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतकर सुर्खियां बटोरी थीं। अब, कोयल बार ने चल रही राष्ट्रमंडल वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर कमाल कर दिया है। संयोग से, इन दोनों वेटलिफ्टरों के पहले कोच अष्टम दास रहे हैं।
गणेश चतुर्थी के अवसर पर परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई क्योंकि 17 वर्षीय कोयल बार ने राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में पोडियम पर शीर्ष स्थान हासिल किया। कोयल के स्वर्ण पदक के दो सकारात्मक पहलू भी हैं क्योंकि उसने युवा और जूनियर वर्ग में कई रिकॉर्ड भी तोड़े हैं
इस युवा एथलीट ने कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप के महिलाओं के 53 किलोग्राम युवा वर्ग में कुल 192 किलोग्राम (85 किलोग्राम + 107 किलोग्राम) वजन उठाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने पहले 85 किलोग्राम वजन उठाकर युवा विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की। फिर, कोयल ने कुल 192 किलोग्राम वजन उठाकर 188 किलोग्राम के रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
कोयल के पिता, मिथुन बार, जो पेशे से मीट विक्रेता हैं, को अपनी बेटी की उपलब्धि पर यकीन नहीं हुआ। ईटीवी भारत से बेटी की उपलब्धियों के बारे में बात करते हुए वह भावुक भी हो गए और कहा कि जो लोग पहले कोयल की आलोचना करते थे, अब वही तारीफ कर रहे हैं। बता दें कि कोयल की पिता, मिथुन बार दस तक पढ़ाई की है, बाद में वो योग सीखने लगे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उन्हें अपने सपने का त्याग करना पड़ा और फिर वो अपनी बेटी को कोचिंग के लिए अष्टम दास के पास ले आए, जो वेटलिफ्टिंग के महान कोच है।
अपनी जीत के बाद भावुक कोयल ने कहा कि पारिवारिक विवाद के कारण उनके पिता की दुकान बंद होने के बावजूद, उन्हें पैसों की कभी चिंता नहीं करनी पड़ी। कोयल ने कहा, ‘वजन उठाते समय, मुझे बस अपने पिता का चेहरा याद आता था। मेरे पिता ने हमें कभी अपने शरीर पर एक खरोंच तक नहीं आने दी। मेरे पिता की कड़ी मेहनत के बिना इस मुकाम तक पहुंचना संभव नहीं था।’
कोयल ने आगे कहा, ‘आज इस मुकाम तक पहुंचने के लिए मैंने जो संघर्ष किया है, वह मेरे पिछले संघर्षों के सामने कुछ भी नहीं है। मुझे शुरू से ही बहुत आत्मविश्वास था। जब मैं इतनी सफल हो गई, तो मुझे लगा कि मैं अब सब कुछ कर सकती हूं।’
कोयल बार के कोच अष्टम ने कोयल की मेहनती प्रकृति की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘कोयल की कारीगरी मेरे साथ है। मैं उसे दस साल की उम्र से वेटलिफ्टिंग के गुण सिखा रहा हूं। उसने मेरे प्रशिक्षण में जिला और राज्य स्तर पर कई पदक जीते हैं। कोयल की तकनीक बचपन से ही बहुत अच्छी रही है। मैं उसकी ताकत बढ़ाने के लिए उसे तरह-तरह के व्यायाम कराता था। उसने कभी अपनी प्रैक्टिस नहीं छोड़ी, बुखार होने पर भी उसने अभ्यास किया है।’