150 मिनट में दिल्ली से पटना! देश में बनेगी हवाई जहाज जैसी स्पीड वाली तूफानी ट्रेन

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: भारत में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को दुरुस्‍त करने पर लगातार काम चल रहा है। खासकर रेल और रोड प्रोजेक्‍ट्स पर लाखों करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्‍ट उनमें से एक है। इसका काम तेजी से चल रहा है और आनेवाले कुछ महीनों में देश की पहली बुलेट ट्रेन पटरियों पर दौड़ सकती है। इस बीच, हाईस्‍पीड ट्रेन को लेकर एक और बड़ी खबर सामने आई है। सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो भारत में नेक्‍स्‍ट जेनरेशन बुलेट ट्रेन का प्रोडक्‍शन शुरू हो सकता है। भारत इस बाबत जापान के साथ करार कर सकता है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान की यात्रा पर हैं और इस दौरान दोनों देशों के बीच ई-10 शिंकानसेन बुलेट ट्रेन की भारत में मैन्‍यूफैक्‍चरिंग पर समझौता होने की उम्‍मीद है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत और जापान जल्द ही मिलकर अगली पीढ़ी की ई-10 शिंकानसेन बुलेट ट्रेन का निर्माण कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय जापान यात्रा के दौरान इसका औपचारिक ऐलान किया जा सकता है। मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि दोनों देशों के बीच इस साझेदारी पर सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। ई-10 शिंकानसेन को जापान की ALFA-X से विकसित किया गया है और इसे भारतीय परिस्थितियों के हिसाब से विशेष रूप से तैयार किया जाएगा। यह पहल भारत-जापान के बीच पहले से चल रहे अहमदाबाद-मुंबई हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट को और मजबूती देगी। यह प्रोजेक्ट कुल 508 किलोमीटर लंबा है और इसका पहला 50 किलोमीटर का खंड 2027 तक गुजरात में शुरू होने की उम्मीद है, जबकि पूरा प्रोजेक्ट 2029 तक पूरा होगा।
यह साझेदारी लगभग चार दशक पहले शुरू हुई मारुति-सुजुकी जॉइंट वेंचर की तरह ऐतिहासिक साबित हो सकती है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस प्रोजेक्ट का पैमाना और रणनीतिक महत्व कहीं ज्यादा है। पीएम मोदी की पहल और जापान से उनकी गहरी दोस्ती का नतीजा है कि बुलेट ट्रेनें अब भारत में ही बनने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है। ई-10 शिंकानसेन की अधिकतम रफ्तार 400 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जबकि भारत के लिए पहले ई-5 शिंकानसेन (320 किमी/घंटा) का विकल्प तय था। पीएम मोदी की विशेष दिलचस्पी और जापानी नेतृत्व से उनके घनिष्ठ संबंधों के चलते भारत को नवीनतम तकनीक का लाभ मिलने जा रहा है।
इस प्रोजेक्ट से न केवल भारत की तेज़ी से बढ़ती परिवहन ज़रूरतों को पूरा किया जाएगा, बल्कि यहां बनी ट्रेनों की आपूर्ति अन्‍य देशों को भी की जा सकती है। भारत की किफायती मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और जापान की विश्वस्तरीय तकनीक और गुणवत्ता इसे एक्सीलेंस प्रोजेक्ट बना सकता है। पीएम मोदी अपने जापानी समकक्ष शिगेरू इशिबा के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन और बिज़नेस फोरम में शामिल होंगे। अगले दिन दोनों प्रधानमंत्री शिंकानसेन से यात्रा कर सेनदाई जाएंगे, जहां वे एक सेमीकंडक्टर फैक्ट्री का दौरा करेंगे और जापानी प्रांतों के गवर्नरों से मुलाकात करेंगे। जापानी पक्ष का मानना है कि भारत में हाई-स्पीड रेल नेटवर्क बनाते समय सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। गौरतलब है कि 1964 में शुरू होने के बाद से शिंकानसेन का सुरक्षा रिकॉर्ड बेहतरीन रहा है। अभी तक किसी यात्री की ट्रेन हादसे में जान नहीं गई है।

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