अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है उज्जैन : आध्यात्मिक

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उज्जैन{ गहरी खोज }: उज्जैन स्थित इस्कॉन मंदिर के आध्यात्मिक गुरु और प्रेरणादायक वक्ता धीर गौर दास प्रभु ने कहा कि तीर्थस्थलों में नई जरूरतों के मुताबिक विकास कार्य कराने से ही पर्यटकों की संख्या बढ़ती है। उज्जैन इसका जीवंत उदाहरण है। दुनिया में कई शहर विशेष उद्देश्य से विकसित किए गए हैं। जैसे अमेरिका में लास वेगास, भारत में मुंबई, सूरत और उज्जैन। उज्जैन अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुनिया में शीर्ष 10 शहर हैं, जो धार्मिक पर्यटन के लिए विशेष पहचान रखते हैं। इनमें भारत के चार शहर – प्रयागराज (20 करोड़ सैलानी प्रतिवर्ष), अयोध्या (3 करोड़ सैलानी प्रतिवर्ष), तिरुपति बालाजी (3 से 4 करोड़ सैलानी प्रतिवर्ष) और वाराणसी शामिल हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि बहुत जल्द हमारा उज्जैन भी इस सूची में शामिल हो जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री के दूरगामी सोच की सराहना करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने श्रीकृष्ण पाथेय विकसित करने का संकल्प लिया है। भारत की जीडीपी का 2.5 प्रतिशत सिर्फ स्पिरिचुअल टूरिज्म से ही आता है। इसे और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है।
पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज की नेशनल टूरिज्म कमिटी के चेयरमैन अनिल पाराशर ने कहा कि पिछले एक साल में भारत में 140 विदेशी नागरिक आए हैं। इसी साल हुए प्रयागराज महाकुंभ में 66 करोड़ लोग पहुंचे। अयोध्या में श्रीराम मंदिर में करीब 13.5 लोगों ने दर्शन किए। काशी विश्वनाथ में भी भक्तों की संख्या बढ़ी है। उज्जैन में सिंहस्थ 2028 की तैयारियां चल रही हैं। यहां नए ब्रिज, रोड और घाट तैयार किए जा रहे हैं। भविष्य में उज्जैन धार्मिक पर्यटन का वैश्विक केंद्र बनेगा।
पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के सीईओ और सेक्रेटरी जनरल डॉ. रंजीत मेहता ने कहा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में उज्जैन में यह स्पिरिचुअल टूरिज्म कॉन्क्लेव आयोजित करना बड़ी घटना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में आध्यात्मिक पर्यटन तेजी से आगे बढ़ रहा है। पूरी दुनिया में उज्जैन की एक अलग पहचान है। हमारी संस्था राज्य सरकार के साथ पर्यटन की सभी संभावनाओं पर कार्य करने के लिए तैयार है।
पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के मध्यप्रदेश चैप्टर के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने कहा कि भारत देश प्राचीन समय में स्पिरिचुअल टूरिज्म से ही पहचाना जाता था। हमें इसे दोबारा जागृत करना है। प्रदेश में उज्जैन और ओंकारेश्वर में ज्योतिर्लिंग विद्मान हैं। सिंहस्थ के आयोजन को भव्य और दिव्य बनाने के लिए कार्य करेंगे।

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