श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे के समर्थक अदालत के फैसले से खुश

कोलंबो{ गहरी खोज }: श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के समर्थक और प्रशंसक अदालत के उन्हें जमानत देने के फैसले से खुश हैं। विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा ने विक्रमसिंघे को जमानत देने के अदालत के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, इससे एक बार फिर साबित होता है कि न्यायपालिका में कोई भी दखल नहीं दे सकता। हम इस नतीजे से खुश हैं। इससे साबित होता है कि देश की न्याय व्यवस्था स्वतंत्र है।
कल फोर्ट मजिस्ट्रेट कोर्ट में कुछ पल तनावपूर्ण रहे। जब खबर आई कि पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को कथित सरकारी धन के दुरुपयोग से जुड़े मामले में जमानत मिल गई है तो स्थिति सामान्य हो गए। दोपहर से ही अदालत के बाहर भीड़ जमा थी। लोग रानिल के समर्थन में नारे लगा रहे थे। न्यायालय के प्रवेश द्वार पर उस समय तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई जब बौद्ध भिक्षुओं के एक समूह को प्रवेश करने से रोक दिया गया। भिक्षु थिन्यावाला ज्ञानलोक थेरा और अम्बनपोला ज्ञानरत्न थेरा ने बाद में पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई।
जमानत मिलने की सूचना पाकर श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) सांसद नमल राजपक्षे ने भावुक बयान देते हुए कहा, हम किसी भी चीज के लिए तैयार हैं। मौजूदा सरकार ने मेरे परिवार को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। मेरे पिता ने 1989 के विद्रोह के दौरान जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) सदस्यों को बचाने की कोशिश की थी, फिर भी आज वे उनके पीछे पड़े हैं।
पूर्व सांसद हिरुनिका प्रेमचंद्र ने भी भावुक होते हुए कहा, कुछ लोग पूर्व राष्ट्रपति विक्रमसिंघे और उनकी पत्नी मैत्री के पीछे पड़ गए हैं। वो कैंसर से जूझ रही हैं और लोग उनकी मृत्यु की कामना भी कर रहे हैं। इसलिए मैं जेवीपी मुख्यालय जाकर ‘अनुरा, अनुरा’ चिल्लाने को मजबूर हूं। सांसद चमारा संपत दासनायके ने विपक्षी दलों से एकता का आह्वान किया। उन्होंने कहा, मुझे परवाह नहीं कि नेतृत्व कौन करता है। अब महत्वपूर्ण यह है कि हम सब एक झंडे तले एकजुट हों।
जब रानिल विक्रमसिंघे से संसद में वापसी के बारे में पूछा गया तो उनके साथ मौजूद पूर्व मंत्री मनुशा नानायक्कारा ने इस संभावना को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, अगर विक्रमसिंघे संसद में वापसी करना चाहते, तो वे पहले ही ऐसा कर चुके होते।