आज है मिथिला का प्रमुख पर्व चौरचन पूजा, जान लें इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र और चांद निकलने का समय

धर्म { गहरी खोज } : मिथिला में चौरचन पूजा पर्व का विशेष धार्मिक महत्व माना जाता है। इसे चौठचन्द्र के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व में चंद्रमा की पूजा का विधान है। मिथिला के लोगों की धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और मिथ्या कलंक से भी बचाव होता है। ये पूजा सूर्यास्त के बाद की जाती है जिसमें शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। चलिए आपको बताते हैं चौरचन पूजा की विधि, सामग्री लिस्ट और शुभ मुहूर्त।
चौरचन पूजा मुहूर्त 2025
चौरचन पूजा का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त 2025 को शाम 6 बजकर 49 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
चौरचन पूजा सामग्री लिस्ट
- अरिपन (चावल के आटे से बनाई जाने वाली डिज़ाइन)
- केला का पत्ता
- दही
- पकवान (मिठाई, पूड़ी, ठेकुआ, मालपुआ, खीर आदि)
- दीपक, अगरबत्ती
- चंद्रमा के प्रतीक के लिए एक छोटा दर्पण या चांदी का चंद्राकार प्रतीक
- सफेद फूल
- चौरचन पूजा अरिपन (अंगना सजाना)
चौरचन पूजा में अरिपन का विशेष महत्व होता है। पूजा करने से पहले अंगना या पूजा स्थल को गोबर और गेरु से लीपा जाता है। फिर वहां चावल के आटे से एक गोलाकार अरिपन बनाया जाता है जिसे चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है। इस अरिपन के बीच में केला का पत्ता रखा जाता है और फिर इस पर सभी पकवान चढ़ाए जाते हैं।
चौरचन पूजा विधि
- चौरचन पूजा सूर्यास्त के बाद की जाती है।
- सबसे पहले चंद्र देव का आह्वान किया जाता है और फिर अरिपन पर रखे पकवानों को अर्पित किया जाता है।
- सफेद फूल और अगरबत्ती का उपयोग करते हुए पूजा की जाती है।
- इस बात का खास ध्यान रखें की पूजा करने वाले व्यक्ति को पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
- फिर ‘सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः।।’ मंत्र का जाप करते हुए चंद्रमा की पूजा करें। इस मंत्र के जाप से इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने का कोई दोष नहीं लगता।
- इसके बाद प्रत्येक व्यक्ति एक-एक फल हाथ में लेकर ‘दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम् नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम्॥’ मंत्र पढ़ते हुए चंद्रमा की ओर प्रणाम करता है।
- आप चाहें तो इस समय चंद्रमा की आरती भी कर सकते हैं।
- अंत में सभी प्रसाद ग्रहण कर पूजा संपन्न करते हैं।
चौरचन पूजा मंत्र
- सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः
- दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम् नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम्
चौरचन पूजा प्रसाद
- चौरचन पर्व में खीर-दही, मालपुआ, ठेकुआ, रोट (पूरी), दाल-पूरी और मौसमी फल विशेष प्रसाद के रूप में बनाए जाते हैं। मिथिला की इस परंपरा में खासतौर पर पकवान का आनंद लिया जाता है।
चौरचन पर चांद पूजा का समय
- चौरचन पर्व वाले दिन चांद निकलने का समय सुबह 08:33 का है और चन्द्रास्त रात 08:29 पर होगा। ऐसे में चांद की पूजा रात 8 बजकर 29 मिनट से पहले कर लेनी है।
-चौरचन पूजा गीत
चौरचन के चंदा सुहान गे बहिना
चौरचन के चंदा सुहान
घर अंगना हम नीक सं निपबै
घर अंगना हम नीक सं निपबै
पूजा के करबै ओरीयान गे बहिना
चौरचन के चंदा सुहान
चौरचन के चंदा सुहान गे बहिना
चौरचन के चंदा सुहान
छांछि मटकुरि में दही जमेबै
छांछि मटकुरि में दही जमेबै
डाली पर रखबै पकबान गे बहिना
चौरचन के चंदा सुहान,
चौरचन के चंदा सुहान गे बहिना
चौरचन के चंदा सुहान
केरा, नरियल मधुर मंगेबाई
केरा, नरियल मधुर मंगेबाई
सङ्गेह सुपारी आ पान गे बहिना
चौरचन के चंदा सुहान,
चौरचन के चंदा सुहान गे बहिना
चौरचन के चंदा सुहान
कल जोड़ी सब गोटे आशीष मंगबै
कल जोड़ी सब गोटे आशीष मंगबै
अंगना में आता भगवान गे बहिना
चौरचन के चंदा सुहान,
चौरचन के चंदा सुहान गे बहिना
चौरचन के चंदा सुहान
-चौरचन पूजा आरती
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा ।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी ।
रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी ।
दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी ।
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे ।
सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि ।
योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें ।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा ।
वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी ।
प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी ।
शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी ।
धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे ।
विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी ।
सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें ।
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा ।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी ।