लोकतंत्र और जाति व्यवस्था साथ नहीं चल सकते: मीरा कुमार

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने सोमवार को दिल्ली विधानसभा में आयोजित ‘ऑल इंडिया स्पीकर्स कॉन्फ्रेन्स’ में कहा कि लोकतंत्र और जाति व्यवस्था एक साथ अस्तित्व में नहीं रह सकते। सम्मेलन के दूसरे दिन मुख्य भाषण देते हुए लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष रह चुकी मीरा कुमार ने कहा कि जाति व्यवस्था समाज के साथ वही करती है जो ‘अमरबेल’ पेड़ के साथ करती है। उन्होंने कहा, “समानता और असमानता एक साथ नहीं रह सकते। ऐसा हो सकता है कि असमानता, एक झूठे समानतावादी लोकतंत्र की बाहरी परत में लिपटी हुई हो, लेकिन इसके अंदर जाति व्यवस्था जीवित रहती है।”
मीरा ने दोहराया कि लोकतंत्र और जाति व्यवस्था का सह-अस्तित्व संभव नहीं है। उन्होंने कहा, “जैसे अमरबेल जिस पेड़ पर उगती है उसे सुखा देती है, वैसे ही जाति व्यवस्था समाज को कमजोर कर देती है और खुद फलती-फूलती है।” उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की “आत्मा समानता की स्थापना है, और यदि यह नहीं होगी तो लोकतंत्र निष्प्राण हो जाएगा।”
मीरा कुमार ने ब्रिटिश शासन के दौरान सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के लिए चुने गए पहले भारतीय नेता विठ्ठलभाई पटेल के योगदान को रेखांकित किया और कहा कि लोकसभा की अध्यक्षता करते समय उनके संघर्ष और अनुभव से उन्हें प्रेरणा मिली। विठ्ठलभाई पटेल के सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली का अध्यक्ष चुने जाने के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में दिल्ली विधानसभा में पहली बार ‘ऑल इंडिया स्पीकर्स कॉन्फ्रेन्स’ का आयोजन किया गया था। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पटेल की स्मृति में एक विशेष स्मारक डाक टिकट भी जारी किया।

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