ईंडी गठबंधन के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी पर गृहमंत्री की टिप्पणी और चिंता जायज : रविशंकर

0
6e522c4f51450a7c5a1fa1d232ed511f

पटना{ गहरी खोज }: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ईंडी (आईएनडीआईए) ब्लॉक के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को नक्सलवाद के मुद्दे पर लगातार घेर रही है। गृह मंत्री अमित शाह के बाद अब भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद रविशंकर प्रसाद ने सुदर्शन रेड्डी पर सवाल खड़े किए हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पटना साहिब से सांसद रविशंकर प्रसाद ने प्रदेश कार्यालय पटना में सोमवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में केंद्र की सरकार नक्सलवाद को समाप्ति के कगार पर पहुंचा दिया है, जबकि 2011 के सलवा जुडूम मामले में सर्वोच्च न्यायालय के जज रहते हुए बी. सुदर्शन रेड्डी ने एक फैसला सुनाया था, जिस पर गृहमंत्री की टिप्पणी और चिंता जायज है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बी. सुदर्शन रेड्डी से जुड़ा यह मुद्दा आज फिर से उठ खड़ा हुआ है, क्योंकि अब वे उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। इस देश के लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति का पद दूसरा सबसे ऊंचा स्थान रखता है। इसलिए इस पद के लिए चुने गए व्यक्ति की मानसिकता और विचारधारा को समझना बेहद जरूरी है।
भाजपा सांसद ने कहा कि बी. सुदर्शन रेड्डी के हालिया फैसलों से साफ जाहिर है कि उनका झुकाव माओवाद की ओर है। ऐसे में न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान का हम समर्थन करते हैं, क्योंकि उन्होंने बिल्कुल सही कहा है।
उल्लेखनीय है कि रविशंकर प्रसाद से पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आरोप लगाया था कि बी. सुदर्शन रेड्डी ने सलवा जुडूम पहल को अस्वीकार कर आदिवासी समुदायों की आत्मरक्षा के अधिकार को छीन लिया था। जिसकी वजह से देश में नक्सलवाद दो दशकों से अधिक समय तक बना रहा। गृह मंत्री ने यह दावा किया था कि उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर पूर्व न्यायाधीश के चयन में वामपंथी विचारधारा भी एक मापदंड रही होगी।
दरअसल में साल 2011 में उच्चतम न्यायालय के दो न्यायाधीश जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी और जस्टिस एस. एस. निज्जर की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए सलवा जुडूम को अवैध और असंवैधानिक करार दिया था। अदालत ने कहा था कि सरकार नागरिकों खासकर आदिवासी युवाओं को बंदूक थमाकर सुरक्षा बलों की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकती। साथ ही अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि सभी विशेष पुलिस अधिकारियों को तुरंत नि:शस्त्र किया जाए और उन्हें अन्य वैकल्पिक रोजगार मुहैया कराया जाए। न्यायालय की ओर से कहा गया था कि सरकार की नीति लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है। इससे समाज में हिंसा और अराजकता बढ़ेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *