खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल: डल झील से शुरू हुई वैश्विक सफलता की नई यात्रा

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल 2025 का समापन भले ही हो चुका है, लेकिन तीन दिन तक डल झील पर चली रोमांचक प्रतिस्पर्धाओं ने भारतीय जल क्रीड़ा इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। जम्मू-कश्मीर स्पोर्ट्स काउंसिल और स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के संयुक्त आयोजन ने न केवल खिलाड़ियों बल्कि कोचों में भी उत्साह भर दिया है। अब लक्ष्य एशियन गेम्स 2026 और लॉस एंजेलिस ओलंपिक 2028 में पदक जीतना है।
इससे पहले राष्ट्रीय स्तर के खुले आयु वर्ग के टूर्नामेंट में 24 स्वर्ण पदकों का फैसला हुआ, जिनमें से 10 रोइंग के ओलंपिक इवेंट थे। मध्य प्रदेश, ओडिशा और केरल शीर्ष तीन राज्यों के रूप में उभरे। भोपाल की झील, ओडिशा का जगतपुर ट्रेनिंग सेंटर और केरल के अलप्पुझा का साई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस चर्चा में रहे क्योंकि यहां से तैयार खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया।
मध्य प्रदेश ने 24 में से 10 स्वर्ण पदक जीतकर अपना दबदबा साबित किया। कोच अंकुश शर्मा ने कहा, “यह महीनों की सख्त तैयारी, अनुशासन और खिलाड़ियों के विश्वास का परिणाम है। हर पैडल स्ट्रोक में उद्देश्य था।” सहायक कोच चंपा मौर्य ने जोड़ा कि खिलाड़ियों की मानसिक मजबूती पर भी काम किया गया, जिससे वे दबाव में निखरे।
ओडिशा ने जगतपुर सेंटर से उतरे खिलाड़ियों के दम पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। कोच लैशराम जॉनसन सिंह ने कहा, “यह तो बस शुरुआत है। हमारे पास प्रतिभा अपार है। सही निवेश और समर्थन मिले तो हम शीर्ष पर होंगे। आज रजत है, कल स्वर्ण जरूर होगा।” केरल ने 3 स्वर्ण सहित कुल 7 पदक जीतकर तीसरा स्थान पाया। कोच पृथ्वीराज नंदकुमार शिंदे ने कहा, “केरल का जल क्रीड़ा से जुड़ा गौरवशाली अतीत है। इस बार हमने उसमें नया अध्याय जोड़ा है।” फेस्टिवल में 47 साई खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया और 15 सदस्यीय जगतपुर दल ने ही 3 स्वर्ण व 5 रजत दिलाए। उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वालों में रश्मिता साहू, विद्या देवी ओइनाम, श्रुति चौगुले, डैली बिश्नोई, शिखा चौहान, पल्लवी जगताप और उत्तराखंड के विशाल डांगी शामिल रहे।
साई के हाई परफॉर्मेंस मैनेजर दिलिप बेनिवाल ने इसे जल क्रीड़ा विशेषकर कायाकिंग और कैनोइंग के लिए स्प्रिंगबोर्ड करार दिया। उनके अनुसार, “हमारे पास रोइंग में ओलंपिक प्रतिनिधि हैं, अब कायाकिंग और कैनोइंग में भी भारत वैश्विक स्तर पर चमक सकता है।” स्पोर्ट्स मंत्रालय की खेलो भारत नीति, टॉप्स और टॉरगेट एशियन गेम्स ग्रुप जैसी योजनाओं के साथ यह फेस्टिवल खिलाड़ियों को नई ऊर्जा दे रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि एशियाई और ओलंपिक खेलों में 30 से अधिक स्वर्ण पदक दांव पर होते हैं और अब भारत की राह वहां तक निश्चित रूप से खुल गई है।