दाल, राजमा और छोले को कितनी देर भिगोकर पकाना चाहिए, जिससे गैस कम बने और आसानी से पच जाएं

0
daal-soaked-for-long-25-08-2025-1756106434

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का सबसे अच्छो श्रोत हैं दालें और फलियां। अलग अलग दालों में प्रोटीन और फाइबर भरपूर पाया जाता है। ज्यादातर लोग खाने में दाल रोटी या दाल चावल पसंद करते हैं, लेकिन कुछ लोगों को दाल खाते ही गैस और ब्लोटिंग की दिक्कत होने लगती है। खासतौर से राजमा, छोले और उड़द की दाल बहुत गैस बनाती है। अगर आप भी गैस की वजह से दालें कम खाते हैं तो दालों को भिगोकर बनाना शुरू कर दें। इससे फाइबर सॉफ्ट होता है और दालें ज्यादा सुपाच्य हो जाती हैं। आइये जानते हैं कौन सी दाल को कितनी देर भिगोकर रखना चाहिए?

बिना छिलका वाली दालों को कितनी देर भिगोएं- बिना छिलके वाली टूटी हुई दाल जैसे अरहर दाल, लाल मसूर दाल और मूंग दाल को पकाने से पहले कम से कम 30 मिनट भिगोकर रखना चाहिए।

छिलका वाली टूटी दालों को कितनी देर भिगोकर रखें- टूटी हुई दालें लेकिन जिनमें छिलका भी है उन्हें कम से कम 2-4 घंटे पानी में भिगोकर रखना चाहिए। जैसे काली उड़द की दाल, मूंग छिलका दाल, पानी में भिगोकर रखने से इनका फाइबर सॉफ्ट होता है और पचाना आसान हो जाता है। टूटी हुई चना दाल को भी आपको 2 से 4 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखना चाहिए।

साबुत दालों को पकाने से पहले कितनी देर भिगोएं- साबुत दालों में कोटिन होती है जिसकी वजह से इन दातों को बनाने के पहले 6-8 घंट पानी में भिगोकर रखना चाहिए। इसमें साबुत मूंग, साबुत मसूर, साबुत उड़द और लोबिया जैसी दालें शामिल हैं।

राजमा छोले और चने को कितनी देर भिगोना चाहिए- हैवी लेग्यूम्स यानि फलियों वाली दालें जैसे राजमा, छोले और काले चने को पूरी रात पानी में भिगोकर रखना चाहिए। इन्हें भिगोते वक्त एक तेज पत्ता, 1 बड़ी इलायची और पीपली डालकर सोक कर लें।

दालें गैस नहीं करेंगी, पकाते वक्त ध्यान रखें ये बातें
गैस और ब्लोटिंग को कम करने के लिए दाल, छोले, राजमा और काले चने को हींग, जीरा और अदरक डालकर तड़का लगाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *