हरतालिका तीज का व्रत कैसे करते हैं? क्या इस व्रत में पानी पी सकते हैं? जान लें क्या हैं नियम

hartalika Teej Ka Vrat Kaise Kare - 1
धर्म { गहरी खोज } : हरतालिका तीज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान पूजा करती हैं और तीज की कथा सुनती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति को लंबी आयु की प्राप्ति होती है। हरतालिका तीज की कथा अनुसार ये व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए किया था इसलिए इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं। लेकिन इस व्रत को करने के नियम क्या हैं यहां हम इस बारे में जानेंगे।
हरतालिका तीज का व्रत कैसे रखते हैं
हरतालिका तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शंकर और माता पार्वती की रेत या बालू से बनाई गई प्रतिमाओं की विधि विधान पूजा की जाती है और साथ ही कथा भी सुनी जाती है। इस पूजा में शिव-पार्वती को प्रसाद के रूप में फल, खीर और हलवा का भोग लगाया जाता है। पूजा के समय सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तुएं रखकर माता पार्वती को चढ़ायी जाती हैं। साथ ही शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है। पूजा के बाद में सुहाग सामग्री सास के चरण स्पर्श करने के बाद किसी ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान कर दी जाती है। इस व्रत में रात्रि जागरण करने का खास महत्व माना जाता है। इस व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। व्रत पारण से पहले महिलाएं शिव-पार्वती की विधि विधान पूजा करती हैं और आरती के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाती हैं और वही सिंदूर अपनी मांग में भी भरती हैं। इसके बाद प्रसाद में चढ़ाए गए भीगे चने, ककड़ी और हलवे का प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोल लिया जाता है।
हरतालिका तीज के नियम
- हरतालिका तीज का व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक रखा जाता है।
- ये व्रत निर्जला रखा जाता है यानी इस व्रत में अन्न-जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता है।
- धार्मिक मान्यताओं अनुसार हरतालिका तीज व्रत एक बार शुरू करने पर इसे बीच में छोड़ा नहीं जाता है।
- इस व्रत में रात्रि जागरण करने का विशेष महत्व माना जाता है।
- हरतालिका तीज व्रत सौभाग्यवती स्त्रियां के अलावा कुंवारी कन्या भी कर सकती हैं। शास्त्रों में विधवा महिलाओं को भी यह व्रत रखने की आज्ञा है।
- इस व्रत में शिव-पार्वती की मिट्टी या बालू से निर्मित प्रतिमाओं की पूजा का विधान है।
- इस व्रत में माता पार्वती को सुहाग सामग्री जरूर चढ़ानी चाहिए। अगले दिन माता को चढ़ाया गया सुहाग का समान किसी को दान में दे दिया जाता है।
- इस दिन सुबह और शाम दोनों समय शिव-पार्वती की पूजा होती है लेकिन शाम की पूजा का सर्वाधिक महत्व माना जाता है।
- पीरियड्स में भी इस व्रत को नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसे में आप किसी ओर से पूजा करा सकती हैं।
- गर्भवती और बीमार महिलाओं को ये व्रत निर्जला नहीं रखना चाहिए। कुछ न कुछ फलाहारी भोजन लेते रहना चाहिए।
- पूजा के लिए बनाई गई शिव-पार्वती की प्रतिमाओं को अगले दिन विधिवत विसर्जित कर देना चाहिए।
हरतालिका तीज में पानी पी सकते हैं?
वैसे तो हरतालिका तीज व्रत में पानी नहीं पिया जाता है। लेकिन जिन महिलाओं के लिए निर्जला व्रत रह पाना संभव नहीं होता है वो शाम की पूजा के बाद पानी पी लेती हैं।
हरतालिका तीज व्रत में फलाहारी भोजन कर सकते हैं?
जी नहीं, ये व्रत निर्जला रखा जाता है। अत: इस व्रत में अन्न और जल का सेवन वर्जित है। हां अगर किसी कारण निर्जला व्रत रह पाना संभव नहीं है तो आप पानी पी सकती हैं।
हरतालिका तीज व्रत में चाय-कॉफी पी सकते हैं?
जी नहीं, इस व्रत में चाय-कॉफी तो क्या पानी पीने की भी मनाही होती है। लेकिन कुछ जगहों पर महिलाएं शाम की पूजा के बाद पानी के साथ-साथ चाय-कॉफी भी ले लेती हैं।
हरतालिका तीज व्रत में दिन में सो सकते हैं?
हरतालिका तीज तो क्या किसी भी व्रत में दिन में सोने की मनाही होती है। कहते हैं जो महिला व्रत के दौरान दिन में सोती है तो उसे उस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता।
हरतालिका तीज की पूजा के बाद व्रत खोल सकते हैं?
वैसे तो हरतालिका तीज का व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद खोलने का विधान है। लेकिन कुछ महिलाएं शाम की पूजा के बाद अपना व्रत खोल लेती हैं। आपके यहां जैसी परंपरा है वैसे आप ये व्रत रख सकती हैं।