पारंपरिक कृषि पद्धतियों और प्रौद्योगिकी का तालमेल भारतीय कृषि को आत्मनिर्भर बना सकता है: भागवत

छत्रपति संभाजीनगर{ गहरी खोज }:राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि भारत आधुनिक प्रौद्योगिकी को पारंपरिक कृषि पद्धतियों और पशुपालन के साथ मिलाकर तथा देशी मवेशी पालन करके कृषि में आत्मनिर्भर बन सकता है।
भागवत ने यहां ज्येष्ठ पशुवैद्य प्रतिष्ठान के 28वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित किया, जहां किसानों, पशु चिकित्सा स्नातकों और विशेषज्ञों को सम्मानित किया गया।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताएं भारत के लिए कृषि में आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कृषि और पशुपालन की भारतीय पद्धतियों के साथ आधुनिक पद्धतियों को मिश्रित करने से किसानों को लाभ होगा और देश आत्मनिर्भरता प्राप्त करेगा।’’
भागवत ने कहा कि पशु चिकित्सकों को उन जीवों के दर्द को समझने की कला आती है, जो न तो बोल सकते हैं और न ही इलाज के दौरान विरोध कर सकते हैं, फिर भी वे उन्हें ठीक कर देते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘प्राचीन पशु चिकित्सा विशेषज्ञ शालिहोत्र ने घोड़े की आयु और गुण निर्धारित करने का विज्ञान बताया था। यह परंपरा हमारे लिए गर्व की बात है।’’
आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि यदि जहां आवश्यक हो, पश्चिमी तकनीक और आधुनिकता को अपनाया जाए और भारतीय कृषि एवं पशुपालन पद्धतियों के साथ समन्वय किया जाए, तो किसानों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि स्वदेशी मवेशियों और पारंपरिक कृषि प्रणालियों में लोगों का विश्वास बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय कृषि के आधुनिक स्वरूपों को विकसित करके हम कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकते हैं।’’
इस अवसर पर, पशुपालन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले कृषकों और पशु चिकित्सा स्नातकों को आदर्श किसान, आदर्श पशुपालक, उत्कृष्ट पशुचिकित्सक और आदर्श प्राध्यापक जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
पशु चिकित्सा विज्ञान में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्रों और विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को भी सम्मानित किया गया और एक स्मारिका का विमोचन किया गया।
ज्येष्ठ पशुवैद्य प्रतिष्ठान के अध्यक्ष अशोक दीवान ने संगठन के कठिन परिस्थितियों से लेकर प्रमुखता तक की यात्रा पर प्रकाश डाला।