‘भारत से बिगड़ते संबंधों को लेकर’ ट्रम्प की उनके ही देश में होने लगी आलोचना!

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न्यूयॉर्क { गहरी खोज }: अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा रूसी तेल की खरीद का हवाला देकर भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है और ट्रम्प की नीतियों की उनके अपने ही देश के राजनीतिज्ञ आलोचना करने लगे हैं। अमरीका के दोनों मुख्य राजनीतिक दलों ‘रिपब्लिकन’ और ‘डैमोक्रेटिक’ के नेताओं ने ट्रम्प के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि इससे अमरीका और भारत के बीच बना रणनीतिक विश्वास कमजोर पड़ सकता है। जिन संबंधों को विकसित करने में अमरीका को वर्षों लग गए, ट्रम्प उन्हीं पर पानी फेरने जा रहे हैं।
अमरीका की पूर्व उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा कि “अमरीका की लोकतांत्रिक-राजनीतिक व्यवस्था टूट चुकी है और वह इतनी मजबूत नहीं है कि लाकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा कर सके। ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में उन लोगों ने आत्मसमर्पण कर दिया है जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा करने की बात कही थी।” इसी तरह ‘संयुक्त राष्ट्र’ में अमरीका की पूर्व राजदूत ‘निक्की हेली’ ने भारत से संबंधों को लेकर ट्रम्प प्रशासन को चेतावनी दी है।
‘निक्की’ ने कहा है कि “अगर भारत के साथ 25 वर्षों में बना भरोसा टूटता है तो यह अमरीका की एक रणनीतिक भूल होगी। चीन को पछाड़ने व शांति स्थापित करने में ट्रम्प के लिए भारत बहुत जरूरी है।” “चीन की आबादी अब बूढ़ी हो गई है जबकि भारत के पास ‘यंग फोर्स’ है। भारत जल्दी ही जापान को पछाड़ कर विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। ऐसे में भारत को आर्थिक तथा सैन्य रूप से मजबूत बनाने में उसकी सहायता करना अमरीका के हित में है।”
“अमरीका ऐसा नहीं होने पर चीन का सामना नहीं कर पाएगा तथा भारत-अमरीका का विवाद बढ़ने से चीन को सीधा लाभ होगा। चीन को पछाड़ने और शांति स्थापित करने हेतु भारत ट्रम्प के लिए बहुत जरूरी है तथा भारत को दंडित करना अमरीका की एशिया नीति के विरुद्ध जा सकता है।”
‘निक्की हेली’ ने यह लेख ट्रम्प के भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ और उसके दोनों देशों के संबंधों पर असर के बारे में लिखा है। उन्होंने ट्रम्प प्रशासन को सलाह दी है कि वह भारत को अपना एक और लोकतांत्रिक सांझेदार माने क्योंकि भारत-अमरीका के रास्ते अलग लेकिन मंजिल एक है और 4 दशक बाद आज अमरीका-भारत संबंध मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।
इसी प्रकार अमरीका के पूर्व उप विदेश मंत्री ‘कर्ट कैंपबेल’ ने ट्रम्प के इस कदम को भारत-अमरीका रिश्तों के लिए खतरे की घंटी बताते हुए कहा है कि “21वीं सदी में अमरीका का सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता भारत के साथ ही है लेकिन ट्रम्प की भाषा और फैसलों से यह रिश्ता खतरे में पड़ गया है।”
जहां अमरीकी अर्थशास्त्री ‘जैफरी साक्स’ ने इसे डोनाल्ड ट्रम्प का ‘राजनीतिक मूर्खतापूर्ण’ कदम बताया है, वहीं सांसद ‘ग्रेगरी मीक्स’ (डैमोक्रेट) ने कहा है कि “ट्रम्प को अमरीका तथा भारत के संबंधों को और मजबूत करना चाहिए था
क्योंकि भारत और अमरीका के संबंध केवल रणनीतिक और आर्थिक ही नहीं बल्कि ‘पीपुल टू पीपुल’ भी हैं। लेकिन ट्रम्प ने इन्हें जोखिम में डाल दिया है और सब कुछ दाव पर लगा दिया है। यह सब ‘टैरिफ टैंट्रम’ के कारण हुआ है।”
भारतीय-अमरीकी पत्रकार फरीद जकारिया ने भी कहा है कि “भारत पर जबरदस्ती टैरिफ थोपना और पाकिस्तान से रिश्तों को बेहतर बनाना ट्रम्प प्रशासन की विदेश नीति की सबसे बड़ी भूल है। ट्रम्प के इस फैसले से भारत सतर्क हो जाएगा तथा रूस व चीन के साथ अपने रिश्ते बेहतर बनाएगा।”
डोनाल्ड ट्रम्प के संबंध में व्यक्त किए गए उक्त नेताओं के बयान किसी टिप्पणी के मोहताज नहीं हैं, अतः ट्रम्प जितनी जल्दी अपने ही देशवासियों की उक्त नसीहत सुनेंगे और भारत बारे अपनी नीति में सुधार करेंगे, अमरीका
के लिए उतना ही अच्छा होगा।

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