ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता…पढ़ें लक्ष्मी जी की आरती के संपूर्ण लिरिक्स यहां

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धर्म { गहरी खोज } : लक्ष्मी माता सनातन धर्म की प्रमुख देवी मानी जाती हैं। कहते हैं इनकी पूजा से जीवन के समस्त दुखों का नाश हो जाता है। कहते हैं जिस किसी पर भी मां की कृपा बरसती है उसके जीवन में सुख-सुविधाओं का कभी अभाव नहीं होता। माता को प्रसन्न करने का सबसे खास उपाय है उनकी आरती। आप सुबह-शाम लक्ष्मी जी की आरती कर सकते हैं। इसके अलावा शुक्रवार और दीवाली के दिन माता की आरती करने का सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है। चलिए आपको बताते हैं लक्ष्मी जी की आरती के लिरिक्स।

लक्ष्मी माता की आरती

महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि।
हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्वभूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
दुर्गा रुप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्‍गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥

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