मेनका गांधी ने आवारा कुत्तों पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने उच्चतम न्यायालय के उस फैसले का शुक्रवार को स्वागत किया, जिसमें देशभर में आवारा कुत्तों का बंध्याकरण, टीकाकरण और उन्हें पकड़ने की जगह पर ही वापस छोड़ने का निर्देश दिया गया है। मेनका गांधी ने शीर्ष अदालत के निर्णय को बहुप्रतीक्षित कदम करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का फैसला वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है और हम इससे बेहद संतुष्ट हैं।’’ वह यह प्रतिक्रिया उच्चतम न्यायालय की विशेष तीन-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए आदेश पर दे रही थीं जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति विक्रम नाथ कर रहे थे। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों से छोड़े जाने पर रोक संबंधी अपने 11 अगस्त के निर्देश में शुक्रवार को संशोधन किया और कहा कि पकड़े गए कुत्तों का बंध्याकरण किया जाए, उनका टीकाकरण किया जाए और उन्हें वापस उन्हीं क्षेत्रों में छोड़ दिया जाए।
पीठ ने नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे ऐसे विशेष भोजन क्षेत्र बनाएं जहां लोग आवारा कुत्तों को खाना खिला सकें। पूर्व भाजपा सांसद मेनका गांधी ने कहा कि पहले आवारा कुत्तों को पकड़कर बंध्याकरण करने के बाद उन्हें किसी अन्य स्थान पर छोड़ देने की जो प्रथा थी, वह न तो उनकी संख्या पर नियंत्रण में कारगर साबित हुई और न ही कुत्तों के काटने की घटनाओं को रोकने में मददगार रही। उन्होंने ‘पीटीआई-वीडियो’ से बातचीत में कहा, ‘‘अब तक कुत्तों को पकड़कर बंध्याकरण के बाद किसी और जगह छोड़ दिया जाता था। बंध्याकरण का कोई लाभ नहीं हुआ, क्योंकि जब किसी कुत्ते को बड़े ऑपरेशन के बाद अनजान इलाके में छोड़ दिया जाता है, तो वह डरा हुआ होता है, दर्द में होता है और उसे नहीं पता कि उसे खाना कौन देगा। ऐसे समय में ही वह काटता है।’’
उन्होंने कहा कि समस्या का समाधान बंध्याकरण के बाद कुत्तों को उनके मूल स्थान पर वापस छोड़ने में है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप उनकी संख्या कम करना चाहते हैं, तो वह सिर्फ बंध्याकरण से होगा। अगर आप काटने की घटनाओं को रोकना चाहते हैं, तो कुत्तों को उनकी जगह पर ही वापस छोड़ना होगा।’’ गांधी ने कहा कि 25 साल पहले पशु कल्याण बोर्ड द्वारा बनाई गई नीति में भी सुझाव दिया गया था कि आवारा कुत्तों को निश्चित स्थानों पर खाना खिलाया जाए, जो लोगों के घरों से दूर हो। उन्होंने कहा, ‘‘हर कॉलोनी में कुत्तों को खाना खिलाने का तय स्थान होना चाहिए, और यदि संख्या अधिक हो तो दो स्थान बनाए जा सकते हैं। लेकिन जहां भी खाना खिलाएं, सोच-समझकर करें और किसी के घर के बाहर नहीं।’’ उच्चतम न्यायालय ने भी अपने निर्देशों में स्पष्ट किया है कि रेबीज से संक्रमित या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों को सड़कों पर न छोड़ा जाए, बल्कि उन्हें उचित देखभाल में रखा जाए।

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