कांग्रेस ने अपने शासन में पत्तन, परिवहन व जलमार्ग मंत्रालय की अनदेखी की : सोनोवाल

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: केंद्रीय पत्तन, परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने सोमवार को राज्यसभा में कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि उसने अपने शासनकाल में इस मंत्रालय की अनदेखी की और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पूर्व सरकार के 10 साल के कार्यकाल में समुद्री क्षेत्र से संबंधित सिर्फ एक विधेयक को ही मंजूरी दी गयी। सोनोवाल उच्च सदन में भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे।
सोनोवाल ने आरो लगाया कि कांग्रेस ने पत्तन, परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय की उपेक्षा की और 2004 से 2014 तक के दस साल के अपने शासनकाल में केवल एक नया कानून ही बना सकी। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले 11 साल में 11 नए कानून बनाए हैं। उन्होंने मोदी सरकार द्वारा अपने मंत्रालय से संबंधित नए कानूनों की सूची भी दी। सोनोवाल ने कहा, “कांग्रेस ने इस मंत्रालय पर ध्यान ही नहीं दिया। उनके दिमाग में क्षेत्र के सुधार के लिए कोई बात ही नहीं थी। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों द्वारा बनाए गए 100 साल से भी ज़्यादा पुराने कानून अब अप्रासंगिक हो गए हैं और आधुनिक समय के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं।
सोनोवाल ने कहा कि अगर कानून आधुनिक, प्रभावी, व्यापार-अनुकूल, पर्यावरण-अनुकूल और लोगों के अनुकूल होंगे, तभी हम देश को आगे ले जा सकते हैं। चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे। इस विधेयक पर चर्चा शुरू होने के समय ही कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण मुद्दे पर चर्चा कराने की अनुमति नहीं मिलने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया। विपक्ष द्वारा सदन से बहिर्गमन का उल्लेख करते हुए सोनोवाल ने कहा कि कांग्रेस और उनके गठबंधन के दलों को कम से कम “राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना विकसित करनी चाहिए क्योंकि वे भी देश के नागरिक हैं।”
मंत्री ने कहा कि विपक्ष के रूप में भी उनकी बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की भूमिका केवल विरोध करना ही नहीं बल्कि जिम्मेदारी और जवाबदेही जैसे महत्वपूर्ण गुण भी होते हैं। “लेकिन इस मामले में, मैंने देखा- यह बहुत दुखद है, इसका अभाव है।” मंत्री ने कहा कि भारतीय पत्तन विधेयक सभी हितधारकों, सभी तटीय राज्यों और बंदरगाहों से संबंधित पक्षों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद लाया गया है। उन्होंने कहा, “यह सुधारों की शक्ति है। इसके जरिए हम भारत को दुनिया के अग्रणी समुद्री देशों में से एक बनाने जा रहे हैं।”