राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने का स्वागत, लेकिन वह राजग प्रत्याशी : संजय राउत

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मुंबई{ गहरी खोज }: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने का खुले मन से स्वागत करती है। हालांकि, उन्होंने यह साफ नहीं किया कि पार्टी उन्हें समर्थन देगी या नहीं, क्योंकि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार हैं। राउत ने नयी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें खुशी है कि वह उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। उनसे पहले, शंकर दयाल शर्मा (महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल) उपराष्ट्रपति बने थे और बाद में राष्ट्रपति भी बने। जब भी महाराष्ट्र से जुड़ा कोई व्यक्ति ऐसे संवैधानिक पद के लिए चुना जाता है, तो हम उसका खुले मन से स्वागत करते हैं।’’ राउत ने कहा, ‘‘लेकिन वह (राधाकृष्णन) राजग के उम्मीदवार हैं और शिवसेना (उबाठा) ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) का हिस्सा है।’’ राज्यसभा सदस्य ने कहा कि अगले महीने होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने विपक्ष के उम्मीदवार के बारे में शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे से चर्चा की है। राउत ने कहा कि जब ठाकरे पिछले सप्ताह नयी दिल्ली गए थे, तो उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर विचार-विमर्श हुआ था और उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के सामने अपनी राय रखी थी।
उन्होंने कहा, ‘‘हम इसपर (विपक्षी उम्मीदवार) खरगे के साथ (सोमवार को) चर्चा करेंगे। मुझे नहीं लगता कि शिवसेना (उबाठा) को इस मुद्दे पर कोई स्वतंत्र रुख अपनाना चाहिए, क्योंकि राधाकृष्णन राजग के उम्मीदवार हैं और हमें गठन ‘इंडिया’ के रूप में आम सहमति से कोई अलग फैसला लेना होगा।’’ राउत ने कहा कि अगर ‘इंडिया’ गठबंधन और राजग के बीच किसी तरह की आम सहमति बनती है, तो शिवसेना (उबाठा) भी उस प्रक्रिया का हिस्सा होगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पृष्ठभूमि से आने वाले भाजपा की तमिलनाडु इकाई के वरिष्ठ नेता रहे सी. पी. राधाकृष्णन को रविवार को राजग का उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया। भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में हुई पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद यह घोषणा की। इस संबंध में पार्टी के सहयोगी दलों के साथ भी विचार-विमर्श किया गया।

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