जन विश्वास संशोधन विधेयक लोकसभा की प्रवर समिति को भेजा गया

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नई दिल्‍ली{ गहरी खोज }: लोकसभा ने जन विश्वास (संशोधन) विधेयक, 2025 को विस्तृत विचार-विमर्श के लिए लोकसभा की प्रवर समिति को भेज दिया। यह विधेयक जीवन एवं व्यापार को आसान बनाने के लिए विश्वास-आधारित शासन को और बेहतर बनाने को लेकर अपराधों को गैर-अपराधी और युक्तिसंगत बनाने के लिए कुछ अधिनियमों में संशोधन करेगा।
इससे पहले केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच लोकसभा में विधेयक पेश किया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक व्यापार सुगमता के लिए विश्वास-आधारित शासन को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। जन विश्वास (संशोधन) विधेयक, 2025 अपराधों को गैर-अपराधी बनाने और तर्कसंगत बनाने के लिए कुछ अधिनियमों में संशोधन करेगा। गोयल ने जन विश्वास (संशोधन) विधेयक, 2025 को पेश करने के बाद लोकसभा की प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा था, जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। समिति से संबंधित नियम और शर्तें लोकसभा अध्यक्ष तय करेंगे। समिति संसद के शीतकालीन सत्र के प्रथम दिन अपनी रिपोर्ट लोकसभा को सौंपेगी।
विधेयक का उद्देश्य छोटे अपराधों का अपराधीकरण समाप्त करना, अनुपालन बोझ कम करना और विश्वास आधारित शासन स्थापित करना है। ये विधेयक इज ऑफ लिविंग और इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। लोकसभा ने संक्षिप्त चर्चा के बाद इसे और गहन अध्ययन एवं सुझावों के लिए प्रवर समिति को भेज दिया है। सरकार ने इसे न्यूनतम सरकार–अधिकतम शासन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया। इस विधेयक के लागू होने से नागरिकों और कारोबारियों को राहत मिलेगी। इसके साथ ही कई छोटे उल्लंघनों पर अब उन्‍हें जेल का डर नहीं होगा, बल्कि पहली बार चेतावनी और बाद में जुर्माना लगेगा। इससे अदालतों पर बोझ भी कम होगा और पारदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था मजबूत होगी।
विधेयक में मोटर वाहन अधिनियम, विद्युत अधिनियम, रिज़र्व बैंक अधिनियम, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, दिल्ली नगर निगम अधिनियम, नई दिल्ली नगर परिषद अधिनियम, चाय अधिनियम, केन्द्रीय रेशम बोर्ड अधिनियम और कानूनी मेट्रोलॉजी अधिनियम सहित अनेक कानूनों में संशोधन प्रस्तावित हैं। इन संशोधनों के अंतर्गत मोटर वाहन अधिनियम में पहली गलती पर चेतावनी, औषधि अधिनियम में जेल की जगह 30,000 रुपये तक जुर्माना, विद्युत अधिनियम में तीन माह की सजा हटाकर 10,000 रुपये से 10 लाख रुपये तक जुर्माना और कानूनी मेट्रोलॉजी अधिनियम में पहली बार उल्लंघन पर चेतावनी तथा बाद में दंड का प्रावधान किया गया है।

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