किश्तवाड़ के चशोती में बचाव कार्य तेज, मलबे में पांचवें दिन भी ‘जिन्दगी’ की तलाश

किश्तवाड़{ गहरी खोज }: भारी बारिश और दुर्गम इलाकों का सामना करते हुए बचाव दल ने बादल फटने से प्रभावित किश्तवाड़ के चशोती गांव में राहत कार्य तेज कर दिया है। मलबे में दबे लोगों का पता लगाने के लिए सोमवार को पांचवें दिन भी बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। बचाव दल अर्थमूवर और खोजी कुत्तों सहित भारी मशीनों का उपयोग करके मलबे में ‘जिन्दगी’ की तलाश कर रहे हैं।
मचैल माता मंदिर के रास्ते में आखिरी वाहन-योग्य गांव चशोती में 14 अगस्त को बादल फटने से 61 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें तीन सीआईएसएफ कर्मी और एक विशेष पुलिस अधिकारी हैं। इसके अलावा 100 से अधिक अन्य घायल हो गए हैं। सूची में नए सिरे से संशोधन के बाद लापता लोगों की संख्या लगभग 50 बताई गई है। बादल फटने से अचानक आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है, जिसमें एक अस्थायी बाज़ार और वार्षिक मचैल माता यात्रा के लिए एक लंगर स्थल को तहस-नहस कर दिया है। 16 घर और सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पनचक्की, एक 30 मीटर लंबा पुल और एक दर्जन से ज़्यादा वाहन क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
एक सीआईएसएफ अधिकारी ने कहा कि आज अभियान का पांचवां दिन है और लापता लोगों के पार्थिव शरीर बरामद करने के लिए संयुक्त प्रयास जारी हैं। बारिश के कारण मौसम चुनौतीपूर्ण है। हमें आज भारी बारिश की चेतावनी भी दी गई है, लेकिन फिर भी हम पूरी कोशिश कर रहे हैं। पुलिस, सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), सीआईएसएफ, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), नागरिक प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवकों की संयुक्त टीमें बचाव कार्यों में लगी हुई हैं। रेनकोट पहने बचाव दल कई स्थानों पर खासकर लंगर (सामुदायिक रसोई) स्थल के पास भारी बारिश के बावजूद काम कर रहे हैं।
सेना के इंजीनियरों ने रविवार को चशोती नाले पर एक बेली ब्रिज बनाया, जिससे गांव और मचैल माता मंदिर के बीच ज़रूरी संपर्क स्थापित हो गया है। सेना ने बचाव और राहत अभियान तेज करने के प्रयासों के तहत कुछ ऑल-टेरेन वाहन भी तैनात किए हैं। बचावकर्मियों ने पिछले दो दिनों में लगभग आधा दर्जन नियंत्रित विस्फोट करके खोज में बाधा डाल रहे विशालकाय पत्थरों को उड़ा दिया। बचावकर्मी एक दर्जन से ज़्यादा अर्थ-मूवर और अन्य भारी उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं, जबकि एनडीआरएफ ने बचाव अभियान में तेज़ी लाने के लिए डॉग स्क्वॉड सहित अपने संसाधन जुटाए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि 25 जुलाई से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलने वाली वार्षिक मचैल माता यात्रा सोमवार को लगातार छठे भी दिन स्थगित रही। लगभग 9,500 फीट ऊंचाई पर स्थित मंदिर तक 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर चशोती से शुरू होती है।