श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं संस्कृत में देने के लिए आप अपनों को भेज सकते हैं ये श्लोक और मंत्र

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धर्म { गहरी खोज } : जन्माष्टमी का पावन पर्व हर सनातनी के लिए बेहद खास होता है। इस दिन भक्त श्रीकृष्ण की कृपा पाने के लिए उपवास रखते हैं। साथ ही इस शुभ अवसर पर कन्हैया के मंत्रों और श्लोकों का पाठ करना भी बेहद शुभ फलदायी माना जाता है। इसलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं कृष्ण जी के कुछ खास मंत्र और श्लोक जिनके जाप से आप अपने जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं। आप चाहें तो आप जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देने के लिए भी ये मंत्र और श्लोक अपनों को विशेज के रूप में भेज सकते हैं।

जन्माष्टमी संस्कृत श्लोक और मंत्र

  1. भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं स्वभक्तचित्तरञ्जनं सदैव नन्दनन्दनम्।
    सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं अनङ्गरङ्गसागरं नमामि कृष्णनागरम्॥

अर्थ- मैं नटखट श्रीकृष्ण की पूजा करता हूं, जो नंद का आनंद हैं। व्रज के एकमात्र आभूषण, जो (अपने भक्तों के) सभी पापों को नष्ट कर देते हैं, जो अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं। जो अपने सिर पर मोर पंख धारण करते हैं, जो मधुर ध्वनि वाली बांसुरी बजाते हैं, और जो अथांग प्रेम का सागर है।

  1. सुखवसाने त्विदमेव सारं दुखवसाने त्विदमेव गयम्।
    देहावसाने त्विदमेव जप्यं गोविंद दामोदर माधवेति॥
    जय श्रीकृष्णः! जन्माष्टमी महोत्सवस्य शुभाशयाः।

अर्थ: सुख के अंत में भी यही सार है, दुःख के अंत में भी यही गाथा है, और देह के अंत में भी यही जप है-गोविंद, दामोदर, माधव! संदेश: जय श्रीकृष्णः! जन्माष्टमी महोत्सव की शुभकामनाएं।

  1. सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
    श्रीकृष्णः सर्वत्र रक्षतु। जन्माष्टमी शुभकामनाः।

अर्थ: सभी सुखी रहें, सभी रोगमुक्त रहें, और श्रीकृष्ण सबकी रक्षा करें।

  1. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
    मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
    जन्माष्टमी महोत्सवस्य शुभाशयाः।

अर्थ: तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में कभी नहीं। कर्मफल का कारण मत बनो, और अकर्म में भी तुम्हारी आसक्ति न हो।

  1. वन्दे कृष्णं गुणातीतं परं ब्रह्माच्युतं यतः।
    आविर्बभूवुः प्रकृतिब्रह्मविष्णुशिवादयः॥
    जन्माष्टमी महोत्सवस्य शुभाशयाः।

अर्थ: जिनसे प्रकृति, ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव आदि का आविर्भाव हुआ है, उन त्रिगुणातीत परब्रह्म परमात्मा अच्युत श्रीकृष्ण की मैं वंदना करता हूं। जन्‍माष्‍टमी की शुभकामना

  1. ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
    प्रणतः क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः॥

अर्थ- हे कृष्ण, वासुदेव, हरि, परमात्मा, शरण में आये हुए के कष्ट दूर करने वाले, गोविन्द, आपको मेरा बारम्बार नमन है।

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