एमसीडी ने कुत्तों को पकड़ने का अभियान किया शुरू, अभी तक पकड़े गए 150 कुत्ते

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: सुप्रीम कोर्ट द्वारा नगर निकायों को कुत्तों को पकड़कर उनका बंध्याकारण कर छोडऩे के बजाए उसे शेल्टर होम में रखने के निर्देश के बाद नगर निकाय दिल्ली नगर निगम ने कुत्तों को पकडऩे का कार्य शुरू कर दिया है। एमसीडी महापौर ने मंगलवार से लेकर बुधवार तक 150 कुत्तों को पकडऩे का दावा किया है कहा कि कुत्तों को शेल्टर होम में रखने के लिए भेजा है। महापौर राजा इकबाल सिंह ने बुधवार को बताया कि निगम ने लालकीला तथा अन्य इलाके में कुत्ता पकड़ने का अभियान शुरू किया है तथा 150 कुत्तें पकड़े गए हैं।
इधर निगम पशु चिकित्सा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के मद्देनजर लाल किला और आसपास के क्षेत्रों में कुत्तों की मौजूदगी पर सख्ती से कार्रवाई हो रही है। यहां से मंगलवार को 60 कुत्ते पकड़े हैं। इसके बाद अभियान पूरे शहर में चलाया जाएगा। जानकारी के अनुसार अभी कुत्तों को पकडऩे के लिए निगम के पास न तो पर्याप्त संसाधन है और न ही कर्मचारी। यहां तक कि शेल्टर होम भी नहीं है।
वर्तमान परिस्थिति यह है कि राजधानी में लावारिस कुत्तों को पकडऩे की पूरी जिम्मेदारी फिलहाल गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के कंधों पर है। एमसीडी इनके माध्यम से कुत्तों की नसबंदी करवाता है और उन्हें पकडऩे में इनकी मदद लेता है। एमसीडी के पास खुद वाहन और कर्मचारी हैं, लेकिन संख्या बेहद कम होने के कारण बड़ी संख्या में शिकायतें आने पर उसको एनजीओ पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट के सोमवार को आए आदेश ने स्थिति बदल दी है। आदेश को लागू करने के लिए एमसीडी को बड़े पैमाने पर संसाधन जुटाने होंगे। इसका मतलब है कि अब न सिर्फ कुत्तों को पकडऩा और बंध्याकारण करना होगा, बल्कि उनके लिए स्थायी आश्रय स्थलों की भी व्यवस्था करनी होगी। अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा ढांचे और संसाधनों के आधार पर यदि सिर्फ एनजीओ पर निर्भर रहे तो सभी कुत्तों को बंध्याकरण करने में कई साल लग जाएंगे। इस कारण उसका अपनी टीम बढ़ानी होगी, वाहन बढ़ाने होंगे और नसबंदी केंद्रों की क्षमता में विस्तार करना होगा। े
एमसीडी ने कुत्तों की नसबंदी के लिए 20 केंद्र बना रखे हैं, जिनमें से फिलहाल 13 केंद्रों पर काम चल रहा है। यह सभी केंद्र एनजीओ की देखरेख में संचालित हो रहे हैं। एमसीडी अधिकारियों के मुताबिक तीनों नगर निगम के एकीकरण के बाद वर्ष 2022-23 में 60 हजार कुत्तों का बंध्याकारण (नसबंदी) की गई थी। उसके बाद वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 80 हजार तक पहुंचा, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1.30 लाख कुत्तों की नसबंदी की गई।
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2025-26 में एक अप्रैल से 31 जुलाई तक ही 40 हजार कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वर्ष और वर्तमान वर्ष के दौरान प्रतिमाह लगभग 10 हजार कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी की जा रही है। वर्तमान नियमों के तहत नसबंदी के बाद कुत्तों को उसी इलाके में छोड़ दिया जाता है, जहां से उन्हें पकड़ा गया था।
एमसीडी ने लावारिस कुत्तों को पकड़कर सुरक्षित रखने के लिए काम शुरू कर दिया है। पशु विभाग फिलहाल ऐसे स्थानों की तलाश में जुटा है जो खाली हो और अगले कुछ वर्षों तक अन्य किसी काम में उपयोग होने की संभावना नहीं है। इन स्थानों को अस्थायी रूप से कुत्तों को रखने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। जानकारी के अनुसार राज्य सरकार से भी ऐसे स्थल उपलब्ध कराने पर बातचीत शुरू की गई है, जहां बड़ी संख्या में पकड़े गए कुत्तों को अस्थायी रूप से रखा जा सके। बताया जा रहा है कि कुत्तों को पकडऩे का अभियान आने वाले दिनों में मौजूदा गति से कहीं अधिक तेज होगा। सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी को आठ सप्ताह में 5,000 कुत्ते पकडऩे का लक्ष्य दिया है, जिसे पूरा करने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है।
स्वतंत्रता दिवस समारोह को देखते हुए फिलहाल एमसीडी की सभी टीमें लाल किले और उसके आसपास के इलाकों में केंद्रित हैं। केंद्र सरकार ने सुरक्षा कारणों से इस क्षेत्र से कुत्तों को तुरंत हटाने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, विशेष अभियान के तहत सबसे पहले उन कुत्तों को पकड़ा जाएगा जिनके बारे में स्थानीय लोगों की ओर से शिकायतें दर्ज कराई जाएगी।
अधिकारियों के मुताबिक अभी जो अभियान चल रहा है उसमें प्रतिदिन सीमित संख्या में कुत्ते पकड़े जा रहे हैं। आने वाले दिनों में टीमों की संख्या और पकडऩे की गति बढ़ाई जाएंगी। इसके लिए अधिक वाहन, पिंजरे और प्रशिक्षित स्टाफ की व्यवस्था की जा रही है। उनका कहना है कि आठ सप्ताह में पांच हजार कुत्ते पकडऩे का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं है, क्योंकि एमसीडी ने गत चार माह में करीब 40 हजार कुत्ते पकड़े हैं।
उनके समक्ष पकड़े जाने वाले कुत्तों को रखने और उनके खाने की व्यवस्था करना चुनौती है। इसी वजह से एमसीडी ऐसे स्थानों की तलाश में है, जहां कुत्तों को सुरक्षित रखा जा सके। एनडीएमसी ने भी बुधवार से आवारा कुत्तों को पकडऩे का अभियान शुरू करने का दावा किया है। एनडीएमसी का फोकस सरकारी दफ्तरों, बाजारों और पाकोज़्ं के आसपास के क्षेत्रों पर रहेगा। उसके इलाके में करीब 10 हजार कुत्ते हैं। एनडीएमसी के पास भी कुत्ते रखने के लिए शेल्टर नहीं है।
एमसीडी राजधानी में आवारा कुत्तों की समस्या के समाधान के लिए मानवीय, व्यवस्थित और दीर्घकालिक कदम उठा रहा है। एमसीडी शहर में डॉग शेल्टर होम स्थापित करने के लिए अप्रयुक्त सामुदायिक केंद्रों, खाली स्कूल भवनों, और अन्य उपयुक्त खाली स्थानों की पहचान कर रहा है। इस संदर्भ में डीडीए तथा दिल्ली सरकार से भी चर्चा की जाएगी ताकि उपयुक्त स्थलों पर स्थायी डॉग शेल्टर होम बनाए जा सकें। ऐसे क्षेत्रों पर प्राथमिकता दी जाएगी जहां आक्रामक स्वभाव के कुत्तों या बीमार कुत्तों की संख्या अधिक है।
इन कुत्तों को सुरक्षित रूप से पकड़कर पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) केंद्रों में नसबंदी और आवश्यक उपचार के लिए भेजा जाएगा। एबीसी केंद्रों की सुविधाओं को सुदृढ़ किया जाएगा तथा नसबंदी की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा, ताकि कम समय में अधिक से अधिक कुत्तों को कवर किया जा सके। इस दिशा में पहले ही उल्लेखनीय प्रगति हो चुकी है और आने वाले महीनों में कार्य की गति और बढ़ाई जाएगी। हम पशु प्रेमियों की भावनाओं का सम्मान करते हैं और उनसे आग्रह करते हैं कि वे एमसीडी के प्रयासों में सक्रिय सहयोग करें। केवल सामूहिक प्रयासों से ही हम इस चुनौती का स्थायी और मानवीय समाधान खोज सकते हैं।