लौह पुरुष सरदार पटेल ने देश की 565 रियासतों को एक सूत्र में पिरोया था : डॉ. महेंद्र पडालिया

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पंडित दीनदयाल ऊर्जा विवि में ‘राष्ट्रीय एकता’ पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

गांधीनगर{ गहरी खोज }: गुजरात के गांधीनगर के पंडित दीनदयाल ऊर्जा विश्वविद्यालय में पूर्व कुलपति शिक्षाविद् एवं विधायक डॉ. महेंद्र पडालिया ने कहा, “हम आज़ाद भारत में खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं और आराम से सो पा रहे हैं, इसका श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल के एकीकरण प्रयासों को जाता है। हम उन्हें ‘लौह पुरुष’ यूं ही नहीं कहते। उन्होंने ही देश की 565 रियासतों को एक सूत्र में पिरोया—देशभक्त गुजरात जैसी रियासतों से लेकर विद्रोही हैदराबाद तक। ” पूर्व कुलपति डॉ. पडालिया “सरदार वल्लभभाई पटेल और आधुनिक भारत में प्रभावी शासन एवं प्रशासन की संस्थाएं” विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में बोल रहे थे। यह संगोष्ठी गांधीनगर स्थित पंडित दीनदयाल ऊर्जा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लिबरल स्टडीज द्वारा आयोजित की गई थी।
संगोष्ठी में पीडीयू के रजिस्ट्रार कर्नल डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने पटेल द्वारा 560 से अधिक रियासतों के एकीकरण की तुलना बिस्मार्क के जर्मनी जैसे वैश्विक एकीकरण आंदोलनों से की और पटेल की कूटनीतिक रणनीति एवं अटूट संकल्प की सराहना की। मुकेश पुरी ने सरदार सरोवर बांध जैसे परिवर्तनकारी परियोजनाओं की परिकल्पना में पटेल की दूरदर्शिता को रेखांकित किया और अर्द्धसैनिक बलों की भूमिका को अधिक मान्यता देने का आग्रह किया। उन्होंने पारदर्शी शासन और जन-केंद्रित नीतियों को सतत विकास के लिए आवश्यक बताया।
हरीत शुक्ला ने पटेल की संस्थागत निर्माण की सोच को “विकसित भारत 2047” जैसे आधुनिक लक्ष्यों से जोड़ा और गुजरात प्रशासनिक सुधार आयोग के अंतर्गत चल रही पहलों का उल्लेख किया। उन्होंने युवाओं को नीति नवाचार में योगदान देने और एसपीआईपीए के माध्यम से करियर पर विचार करने के लिए प्रेरित किया। प्रो. ए.डी.एन. बाजपेयी ने याद दिलाया कि एकता का अर्थ समानता नहीं होता। उन्होंने हैदराबाद और जूनागढ़ के एकीकरण का उल्लेख करते हुए भारत से विविधता को अपनाने और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने का आह्वान किया।
डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की और इसे पटेल की सिविल सेवाओं के एकीकरण तथा भारत की प्रशासनिक संरचना को आकार देने की विरासत से जोड़ा। उन्होंने मजबूत संस्थाओं और जवाबदेह शासन को एक सशक्त राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक बताया।
इस समारोह में गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हरीत शुक्ला, सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मुकेश पुरी, (सेवानिवृत्त), अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.डी.एन. बाजपेयी; और पीडीयू के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
संगोष्ठी का मुख्य आकर्षण एक पैनल चर्चा थी, जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) दुश्यंत सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) असीत मिस्त्री, एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) बकुल उपाध्याय और कर्नल (सेवानिवृत्त) राकेश श्रीवास्तव ने भाग लिया।
इस समारोह में उद्घाटन सत्र का एक और विशेष क्षण “बुक ऑफ एब्स्ट्रैक्ट्स” का विमोचन था, जिसमें पूरे भारत से प्राप्त 140 से अधिक शोध पत्रों का संकलन किया गया है। इसमें आधुनिक भारत के लिए पटेल की दृष्टि, राष्ट्रीय एकीकरण, नैतिक शासन, सुरक्षा एवं न्याय, सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण, डिजिटल समावेशन, ग्रामीण विकास, मेक इन इंडिया और औद्योगिक नीति, तथा जलवायु अनुकूलन जैसे विविध विषय शामिल हैं।
इसमें प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों, शिक्षाविदों, प्रशासकों और विद्यार्थियों ने भाग लिया और सरदार पटेल के लोक नीति, सिविल सेवाओं और राष्ट्र-निर्माण में अमूल्य योगदान को याद करते हुए उसकी वर्तमान प्रासंगिकता पर चर्चा की।

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