पंजाब सरकार का व्यवहारिक फैसला

संपादकीय { गहरी खोज }: लोकतांत्रिक सरकार लोकमत पर ही निर्भर होती है। लोकतांत्रिक सरकार की नीतियों को अगर जन साधारण का समर्थन नहीं मिलता तो उन नीतियों को वापस लेना ही सरकार की अकलमंदी है। पंजाब सरकार ने पंजाब के योजनाबद्ध विकास के लिए लैंड पूलिंग पालिसी को लागू किया था। लैंड पूलिंग पालिसी तो अकाली-भाजपा सरकार के समय की बनी हुई थी लेकिन वर्तमान सरकार ने उस नीति में बदलाव कर लागू किया। नई नीति में किये बदलाव अनुसार अब किसान को जमीन के बदले पैसे देने की बजाय सरकार द्वारा विकसित जमीन में से एक प्लाट घर के लिए और एक कार्य करने के लिए देने की बात कही गई थी।
पंजाब सरकार द्वारा बनाई गई लैंड पूलिंग पालिसी का राजनीतिक दलों व किसान संगठनों द्वारा पहले दिन से ही विरोध किया जा रहा था। विरोध करने वालों का मुख्य तर्क यही था कि मान सरकार लैंड पूलिंग पालिसी के तहत दिल्ली के बड़े-बड़े बिल्डरों को पंजाब की उपजाऊ जमीन देने जा रही है। दूसरा तर्क था कि जितनी जमीन पंजाब सरकार लेने जा रही है उतनी की आवश्यकता ही नहीं। विपक्षी दलों व किसानों के संगठनों का कहना था कि पंजाब में पहले से अधिकृत की गई जमीनों पर अभी सैकड़ों प्लाट खाली पड़े हैं, पहले उनको विकसित किया जाए। उसके बाद मांग अनुसार ही जमीन का अधिग्रहण किया जाए।
पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पालिसी को उस समय बड़ा झटका लगा था जब पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय ने नीति के कारण पीड़ित लोगों के भविष्य पर प्रश्न पूछते हुए नीति पर रोक लगा दी थी। 4 सितंबर तक पंजाब सरकार से उत्तर देने के लिए कहा गया था। पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा जब लैंड पूलिंग पालिसी पर रोक लगा दी गई तो परिणामस्वरूप किसान संगठनों और विपक्षी दलों के हौसले बुलंद हो गए और यह लोग मान सरकार के विरोध में सड़कों पर उतर आए। उच्च न्यायालय के फैसले के कारण जन साधारण में भी धारणा बैठ गई कि नीति में कुछ कमियां तो होंगी ही, तभी न्यायालय ने रोक लगा दी है।
पंजाब में किसान संगठनों व विपक्षी दलों ने उच्च न्यायालय के आदेश को आधार बनाकर मान सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। अतीत में जो समर्थन ग्रामीण क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी को मिल रहा था वह इस लैंड पूलिंग नीति के कारण कमजोर पड़ने लगा। ग्रामीण क्षेत्रों में नोटिस लग गए कि आम आदमी पार्टी के लोग व नेताओं का गांव में आना बैन है। आम आदमी पार्टी जो राजनीतिक बदलाव के रूप में देखी जाने लगी थी। इसी कारण पंजाबियों ने आम आदमी पार्टी को 22 के विधानसभा चुनावों में एक ऐतिहासिक जीत दी।
पंजाब में जिस तरह लैंड पूलिंग पालिसी का विरोध हो रहा था, अगर सरकार समय रहते इस लैंड पूलिंग पालिसी को वापस न लेती तो शायद पार्टी टूट जाती। प्रदेश की वर्तमान राजनीतिक स्थितियों व किसान संगठनों द्वारा चलाए आंदोलन को राजनीतिक दलों द्वारा दिए समर्थन को देखते हुए सरकार द्वारा लिया गया निर्णय सही है। जनता का सरकार विरोधियों को मिल रहा समर्थन स्पष्ट संदेश दे रहा था कि अगर पंजाब सरकार लैंड पूलिंग पालिसी पर दृढ़ रहती तो यह नीति या कदम उसके लिए आत्मघाती साबित होता। पंजाब सरकार ने लैंड पूलिंग पालिसी को वापस लेकर एक व्यवहारिक दृष्टिकोण व राजनीतिक परिपक्वता का ही परिचय दिया है।