डायबिटीज के मरीज में डिप्रेशन का खतरा क्यों बढ़ जाता है, फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर ने बताया अवसाद को कैसे कम करें

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: डायबिटीज केवल ब्लड शुगर को प्रभावित करने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि यह मरीज की मानसिक सेहत पर भी गहरा असर डाल सकती है। रिसर्च से पता चला है कि डायबिटीज के मरीजों में डिप्रेशन का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में लगभग दोगुना होता है। इसके पीछे शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कई कारण होते हैं, जिन्हें समझना जरूरी है। फोर्टिस अस्पताल की डॉ अस्तिक जोशी ने बताया शुगर का डिप्रेशन से क्या संबंध है।
शुगर के रोगियों में डिप्रेशन
लगातार बीमारी का बोझ- डायबिटीज एक क्रॉनिक कंडीशन है, जिसका मतलब है कि इसे पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता, केवल नियंत्रित किया जा सकता है। रोजाना दवाइयां, इंसुलिन, डाइट और ब्लड शुगर मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी मरीज के दिमाग पर लगातार दबाव डालती है। यह मानसिक थकान और निराशा की भावना पैदा कर सकती है।
ब्लड शुगर का मूड पर असर- ब्लड शुगर के उतार-चढ़ाव का असर सीधे ब्रेन के केमिकल बैलेंस पर पड़ता है। हाइपोग्लाइसीमिया (ब्लड शुगर बहुत कम होना) या हाइपरग्लाइसीमिया (बहुत ज्यादा होना) मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन और थकान बढ़ा सकता है, जो धीरे-धीरे डिप्रेशन में बदल सकता है।
शारीरिक समस्याएं- डायबिटीज से आंखों, किडनी, हृदय और नसों को नुकसान होने का खतरा रहता है। इन जटिलताओं का डर और भविष्य की अनिश्चितता चिंता और उदासी को जन्म देती है। कई बार मरीज को लगता है कि उनकी जीवनशैली हमेशा सीमित रहेगी, जो मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
सामाजिक अलगाव और स्टिग्मा- कुछ मरीज अपनी बीमारी के कारण सामाजिक मेल-जोल से बचने लगते हैं, जैसे पार्टियों में खाना-पीना टालना, यात्रा में परेशानी या बार-बार अस्पताल जाना। यह सामाजिक अलगाव डिप्रेशन का एक बड़ा कारण बन सकता है।
दर्द और थकान का असर- डायबिटीज के साथ अक्सर लंबे समय तक थकान, पैरों में दर्द या झुनझुनी जैसी समस्याएं जुड़ी रहती हैं। लगातार असहजता और ऊर्जा की कमी भी मनोदशा पर नकारात्मक असर डालती है।
डिप्रेशन से बचाव के उपाय
डॉ. अस्तिक जोशी के अनुसार, डायबिटीज के मरीज को मानसिक स्वास्थ्य का उतना ही ध्यान रखना चाहिए जितना शारीरिक स्वास्थ्य का।
नियमित काउंसलिंग- मनोवैज्ञानिक या साइकियाट्रिस्ट से समय-समय पर बातचीत।
परिवार और दोस्तों का सपोर्ट- अपने डर और भावनाएं साझा करना।
संतुलित जीवनशैली अपनाएं- योग, ध्यान और हल्का व्यायाम तनाव घटाने में मदद करते हैं।
नियमित स्क्रीनिंग– डायबिटीज के साथ डिप्रेशन की जांच भी जरूरी।
डायबिटीज और डिप्रेशन का संबंध एक दोतरफा चक्र की तरह है। डायबिटीज डिप्रेशन का खतरा बढ़ाती है और डिप्रेशन डायबिटीज मैनेजमेंट को और कठिन बना देता है। इसलिए समय रहते मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना, मदद लेना और पॉज़िटिव सोच बनाए रखना बेहद जरूरी है।