मणिपुर के लिए अवैध प्रवासियों की पहचान और उनका निर्वासन महत्वपूर्ण: पूर्व मुख्यमंत्री

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इंफाल{ गहरी खोज }: मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि म्यांमा एवं बांग्लादेश से अवैध रूप से आए लोगों की पहचान करना और उन्हें निर्वासित करना पूर्वोत्तर राज्य में सुरक्षा और जनसांख्यिकीय संतुलन सुनिश्चित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। सिंह ने संसद में यह मुद्दा उठाने के लिए मणिपुर से एकमात्र राज्यसभा सदस्य महाराजा संजाओवा लेशंबा को धन्यवाद किया।
सिंह ने सोमवार शाम को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘मैं म्यांमा और बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों का पता लगाने, उनकी पहचान करने और उन्हें निर्वासित करने की तत्काल आवश्यकता को संसद में साहसपूर्वक उठाने के लिए माननीय सांसद को धन्यवाद देता हूं। यह मणिपुर की पहचान, सुरक्षा और जनसांख्यिकीय संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है।’’
सिंह ने कहा, ‘‘जब अन्य सांसदों ने चुप्पी साधे रखी, तब आपने साहस और स्पष्टता के साथ एवं बिना किसी हिचकिचाहट के हमारे लोगों की चिंताओं को उठाया है। यह केवल एक प्रशासनिक आवश्यकता नहीं है बल्कि मणिपुर के लोगों के अधिकारों, संस्कृति और भविष्य की रक्षा का मामला है।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता लेशंबा ने मणिपुर में अवैध रूप से बसे विदेशी नागरिकों का मुद्दा सोमवार को राज्यसभा में उठाया था और सरकार से मांग की थी कि परिसीमन और जनगणना शुरू करने से पहले ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें वापस भेजा जाए ताकि राज्य के मूल लोगों के अधिकारों का संरक्षण हो सके।
लेशंबा ने यह मुद्दा विशेष उल्लेख के जरिए उठाते हुए कहा था कि म्यांमा और बांग्लादेश के नागरिक राज्य के विभिन्न हिस्सों में बस गए हैं। उन्होंने कहा था कि इस वजह से राज्य में कुछ स्थानों पर जनसांख्यिकी में भारी बदलाव दर्ज किया गया है। भाजपा सदस्य ने कहा था कि केंद्र सरकार ने इस संबंध में राज्य को कदम उठाने के लिए कहा है लेकिन राज्य की ओर से ऐसा कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा था कि अवैध विदेशी नागरिकों के बस जाने से राज्य के मूल लोगों के संवैधानिक अधिकार प्रभावित हो रहे हैं।

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