आपदाग्रस्त इलाकाें से अब तक 1278 लाेग निकाले गए, 42 लापता लाेगाें में सेना के नाै जवान

उत्तरकाशी{ गहरी खोज }: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में धराली त्रासदी के सातवें दिन आयुक्त गढ़वाल मंडल विनय शंकर पाण्डेय ने बताया कि धराली आपदा के बाद 43 लोग लापता हाेने की सूचना दर्ज की गई है, जिनमें से एक युवक का शव बरामद हाे गया है। शेष 42 लाेगाें में सेना के नाै, बिहार के 13 और उत्तर प्रदेश के छह व्यक्ति शामिल हैं। रेस्क्यू अभियान में अब तक 1278 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है।
सोमवार को यहां आपदा नियंत्रण कक्ष में एक मीडिया ब्रीफिंग में गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे ने बताया कि आपदाग्रस्त धराली में राहत एवं बचाव अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। अभियान में लापता लोगों की खोजबीन का प्रयास भी तेजी से हाे रहे हैं। मंडलायुक्त ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार धराली गांव के आपदा पीड़िताें को तत्कालिक तौर पर पांच लाख रूपये की अनुग्रह राशि का वितरण कार्य शुरू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप पीड़िताें काे राहत एवं पुनर्वास का बेहतर पैकेज तैयार कराया जा रहा है। जिसके लिए सचिव राजस्व की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई है। आपदा से हुई क्षति का आकलन और प्रभावितों से वार्ता के लिए समिति के सदस्य आज उत्तरकाशी पहुंचेंगे।
मंडलायुक्त ने बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में युद्धस्तर पर रेस्क्यू अभियान चलाकर 1278 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। प्रभावित क्षेत्र में फंसे सभी बाहरी लोगों एवं जरूरतमंद स्थानीय लोगों को वहां से निकाल लिया गया है। मलबे के भीतर दबे लोगों की खोज करना शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। जिसके लिए एनडीआरएफ की टीम सहित अलग से एक विशेष अधिकारी मौके पर तैनात है। एसडीआरएफ के आईजी भी मौके पर कैम्प कर रहे हैं।
उन्हाेंने बताया कि देहरादून से 10 विशेषज्ञ भूवैज्ञानिकों की एक विशेष टीम भी भेजी गई है। राहत एवं बचाव कार्यों तथा सर्च ऑपरेशन को तत्परता से संचालित करने के लिए जिलाधिकारी लगातार प्रभावित क्षेत्र में ही कैम्प कर रहे हैं। प्रभावित लोगों को पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न, कपड़े व दैनिक उपयोग की सामग्री उपलब्ध कराई जा चुकी है। मंडलायुक्त ने बताया कि अभी तक प्राप्त विवरण के अनुसार इस आपदा में 43 लोगों के लापता होने की सूचना मिली थी। जिनमें से धराली गांव के एक युवक आकाश पंवार का शव बरामद हुआ है। मृतक के परिजनों को आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। इन लापता 42 लोगोंं में नाै सेना के कार्मिकों के साथ ही धराली गांव के आठ तथा निकटवर्ती क्षेत्रों के पांच लोग शामिल हैं। टिहरी जिले का एक, बिहार के 13 और उत्तर प्रदेश के छह व्यक्ति भी लापता बताए गए हैं।
उन्हाेंने बताया कि इनके अतिरिक्त 29 नेपाली मजदूरों के लापता होने की भी सूचना मिली थी, जिनमें से मोबाइल नेटवर्क बहाल होने के बाद पांच व्यक्तियों से संपर्क हो चुका है। शेष 24 मजदूरों के संबंध में उनके ठेकेदारों से अधिक विवरण नहीं मिल पाया है। संबंधित ठेकेदारों को कहा गया है कि इन मजदूरों को जहां से लाया गया है, वहां से उनके मोबाइल नंबर तथा अन्य जानकारी प्राप्त की जाय। ऐसा माना जा रहा है कि अभी तक सकुशल मिले पांच मजदूरों की तरह शेष अन्य मजदूर भी अन्यत्र जा सकते हैं। केदारनाथ आपदा के दौरान भी लापता बताए गए कई लोग प्रभावित क्षेत्र से वापस अपने घर पहुंच चुके थे। अन्य राज्यों के लापता लोगों के घरों का पता जुटाकर भी उनकी खोज-खबर का प्रयास किया जा रहा है। इन लोगों के बारे में अंतिम वस्तुस्थिति एक-दो दिन में साफ होने की उम्मीद है। मीडिया ब्रीफिंग के दौरान पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल परिक्षेत्र राजीव स्वरूप भी उपस्थित रहे।
मंडलायुक्त ने बताया कि हर्षिल में भागरथी नदी पर बनी झील से पानी निकासी के लिए सिंचाई विभाग और उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने काम शुरू कर दिया गया हैं। डबरानी-सोनगाड क्षेत्र में सड़क मरम्मत के लिए मशीनें पहुंची है। इसके अलावा पैदल मार्ग पर सुरक्षा व सहायता के अनेक इंतजाम किये जा रहे
हैं। मंडलायुक्त ने बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में सड़क संपर्क बहाल करने का काम तेजी से जारी है। गत रात्रि को लिमच्यागाड में वैली ब्रिज का निर्माण पूरा हो चुका हैं। अब डबरानी और सोनगाड क्षेत्र में क्षतिग्रस्त सड़क बहाल करने का काम चल रहा है। मंगलवार सायं तक इस क्षेत्र में सड़क संपर्क बहाल हो जाने की उम्मीद है। लिमच्यागाड में वैली ब्रिज बनने के बाद भारी मशीनों को डबरानी क्षेत्र में पहुंचा दिया गया है।
उन्हाेंने बताया कि डबरानी से सोनगाड तक लगभग पांच किमी पैदल मार्ग पर एक हेल्प पोस्ट एवं मेडिकल कैम्प की व्यवस्था करने के साथ ही एसडीआरएफ व वायरलेस टीम को भी तैनात किया गया है। डबरानी से सोनगाड के बीच खच्चरों के माध्यम से गैस सिलिंडरों को भेजा शुरू कर दिया गया है। जिन हिस्सों में सड़क अवरूद्ध हैं, वहां पर ट्रांशिपमेंट कर प्रभावित क्षेत्र के लिए जरूरी सामान की आपूर्ति की जा रही है। उन्हाेंने बताया कि सड़क बाधित होने के कारण प्रभावित गांवों में प्रशिक्षित आपदा मित्रों एवं पंचायतराज विभाग के माध्यम से लगातार संपर्क किया जा रहा है। प्रभावित क्षेत्र में मोबाइल संपर्क उपलब्ध है। आपदा नियंत्रण कक्ष निरंतर संचालित हो रहा हैं। प्रभावित गांवों में कोई समस्या होने पर तत्काल सहायता पहुंचाए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।