थायराइड के मरीज के लिए जरूरी होते हैं ये विटामिन, डॉक्टर ने बताया लक्षणों को गंभीर होने से बचाने में करते हैं मदद

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: शरीर में विटामिन की कमी होने पर कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सिर्फ विटामिन ही नहीं सभी पोषक तत्व शरीर के लिए जरूरी हैं। ऐसे में थायराइड के मरीज को भी कुछ खास विटामिन की जरूरत होती है। हाइपोथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें थायरॉयड ग्रंथि सही मात्रा में थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाती। हाइपोथायरायडिज्म के रोगियों को थकान, बिना किसी कारण के वजन बढ़ना, हर समय ठंड लगना और डिप्रेशन जैसे लक्षण महसूस होते हैं। हालांकि इन लक्षणों के इलाज के लिए उन्हें कुछ विटामिन लेने की सलाह डॉक्टर देते हैं।
पुणे के डेक्कन जिमखाना स्थित सह्याद्री सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के एंडोक्राइनोलॉजी एंड डायबिटीज विभाग के निदेशक डॉक्टर उदय फड़के ने बताया कि ‘आमतौर पर लेवोथायरोक्सिन जरूरतमंद मरीजों की मदद करता है, लेकिन कुछ विटामिन और मिनरल भी हार्मोन को संतुलित करने, सूजन को कम करने और ओवरऑल हेल्थ में सुधार लाने में मदद कर सकते हैं।’
हाइपोथायरायड के मरीज के लिए विटामिन
इन मरीजों के लिए सेलेनियम सबसे जरूरी पोषक तत्वों में से एक है क्योंकि यह थायरॉइड एंटीबॉडी को कम करता है और एनएक्टिव T4 को एक्टिव T3 में बदलने में मदद करता है। वहीं आयोडीन बहुत कम या बहुत अधिक मात्रा लेने से थायरॉइड का संतुलन बिगड़ सकता है, जो थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन के लिए जरूरी है।
जबकि विटामिन बी12 की कमी लोगों में आम है लेकिन ये तंत्रिका संबंधी समस्याएं और थकान को बढ़ा सकती है। वहीं विटामिन डी की कमी इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करती है। ऑटोइम्यून हाइपोथायरायडिज्म वाले लोगों में अक्सर विटामिन डी कम पाया जाता है।
जिंक और आयरन हार्मोन उत्पादन और चयापचय में मदद करते हैं वहीं मैग्नीशियम हार्मोन के परिवर्तन और मांसपेशियों के काम में सुधार लाने में मदद करता है।
विटामिन ए हार्मोन भी इन लोगों के लिए जरीरी है। आयोडीन अवशोषण में अहम भूमिका निभाता है, हालांकि सप्लीमेंट के रूप में इसे सावधानी से लिया जाना चाहिए। हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों के लिए सबसे अधिक फायदेमंद विटामिन और मिनरल को आप इस तरह समझ सकते हैं।
सप्लीमेंट्स लेते वक्त रखें ख्याल
कोशिश करें के विटामिन और मिनरल की कमी को अपने खाने के जरिए ही पूरा करें। लेकिन कमी होने पर सप्लीमेंट्स का सहारा लिया जा सकता है। हालांकि, बिना उचित जांच के खुद से दवाएं खाना खतरनाक हो सकता है, खासकर जब बात आयोडीन जैसे खनिजों या फैट में घुल जाने वाले विटामिन ए की आती है।